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________________ रातावियायसेवाए परिता वि। शगंध गंध परिणाम कालपरिणताशिया लमपरिणता शिलादितव सपरिगतावि/दालिहवपरित दिशखक्किलवरना गिरस शरसपरिणताि सपरिणताशिक सायरस परि रिगताविमररसप रिज्ञाता विकासाता करकडफासपरिणता शिमग्य फासपरिणता गिरुय फासपरिगतावि लजयफासपरिणताविसात फासयशि एता विउ सिसायासयरिगताविविकासए) रिगतारिक फासपरिणताशिसं । वाणउपरिमंडल से गणपरिणता शिवसंग परिणता दितंससेवा एयरिगतादि" वरस सेवापरिणवा विझारत संगण२२) ताशा गंधगिरिताina सर्वकालवम्मपरिणता विशाल व परिणता दिले रहितम परिणता विदा लिदमपरिगता शिञ्च चिलवस परिणताशिरस विनरस परिणता शिक उयरस परिगताविक संपरिनाशिबिलरस परिणता दिशमऊदरमपरिगतावि/फास करका डफासपरिनाशिम जय कामपरिगताविरुदफा संपरितालिका सपरिणता विसात फास
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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