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________________ सररररमाथामनेड विस्केल बर दल्लेयाम ऊदामोंखला सोरदछतित्ता गंगाकासिमारवयातिशजायगा निंएगदिसि विदिसिंद। एवाखानक रस्म । एवनियात्रा सातारचाकरतिकाल स्मरस्म कितिकालस्म काम गतिमा। एगस भइ एणवाड समयवातिसमवाविशद्वरं एवइकालस्म के प्रामाएव निकाल स्काम)) ससंताचवावयव किरिया गिरोनर यविवरेच्या यशामजद रम गयलस्म) माछतिलानाका सण सारदा शिऊर गातिएगदिसिं यदतिए रवाना के दतिकालस्मत व्यादाalaऊदा निश्श्यस्तदा खरक मारस्म व रंए गदि सिंविदिसिंदा। एवंजावछदिऊमा रस्म वाजक इयस्मदाजावादएवरंग दिसिदि ||दियतिरिस्काजाणियानिर दशम से ऊदान र विद्यास्साब मिसाए मंतराजातिसियामादिश सनिरशस से दायरऊ मारमा बजावतातात या सम्रग्घा गोसामा दण्सामा दणि चाऊ ऐ स्यालalaदिलातापायाल शिंकर तिरिख ने कमाए वेकादशदा यि सम्रग्यत
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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