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________________ एवं तेघ कसा० कषायसमुइघातनासमु ह्या संपात गुणा निगो दमा व नत्र विष इज अनंता विग्रह त्या मापनाते साम से खेय गुणानीक बायसमुद्र का वाना मे सातनरके छतिस मुइघातानी सदा प्राप्य मान त्यात तेववेिदना समुइयात इस मोह्मविदो बाधा कतै कषाय समुदघान ना धधका वेदना समुदघात नाधला सदैव संय वि एवं तेषा असमी को इस मुश्यात काधानघाते असंख्यात गुणा वेदेनानी के कायमा रहने समान सामाह्मा ने प्रकानिगोद एफनामास मवरुताना मदालस नवा 578 ड कसर छोला नार पावसामादया शिससा दिया समोदया सारख्या एकावरणप्रकाश्यावर सोवासकायादः द्वियसमुग्घासमादता ॥ मारतिय सम्याए ए)सामादया संखे छणा कसा सग्याए एस रमादासारख्या वदा सम्रग्याए॥ सामादताविरससादिय कुम alसामादतासारखा बदिया तासात कसा सय्यातमा सबस रतिया एसामाहता सोमाद यायिक तार २ दितापण्याबाबऊदा राउल रवा शिरसा दियावा ॥सगेशाब इंदियामारएं) तियसम्रा नामाददद्दा घात पाक सायसमुय्यातिएं) दियासोरच्या की मा० मा पीति कस मो धाम विदास अग् सामादयासारखा। विमरतिव सामा दता साखरेवर दिया विदियतिरिस्काऊगियर मोलाचारदा समाददया कसा यसमातिए मार ऐतियसञ्जातावविएस खग्धायणातया समुग्यासमादता असामा दया गय| कतार २ दिता प्णा वाबगाव जिल्ला वा शिसमादिया ग । तण सामादता! गावचचियसम्रा गामासाावा एचिंदिय तिरिस्काऊगियावयास ॐशत कम सामान्य वेदना सो गये. असे मोह्मा बने सुरसार श्री श्री सोमाय घाध सामाना के दाचिंकि इन कोष वसते की मार तक समुद्र घा ते सामाना संष्यात गुणावचननसमा मन जाने की वेदनासाना राणा माह्मा संपात सनदी समुद्रघातिघणघका कास्कषाकर द्वार र उत्तर विकरूपघ साविऊर्वश घा कसा य समुद्र घान इसामाह्मा. संध्यांत गुला उत्तर वैकास पावेरदारणा शक्राधसमु घात घात घणा कुश्ते सात घावे दनी समुद घातश्समो ह्मासात प्र माधामा नौ का धावेद मधली ऊइ ते माहितेव का समा मोहया यात कालई साझा या अजे अस मोहबा वैकामु घावे सामा
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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