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________________ फासिंह फर सेंद्रीय इष्टानिष्टना नातेदार जो मा० त वा श्राहारपखे० मूरखर कराना हा रश जेयो० जेमुद्र लल्लो मादी र एग्रह तेस ते सर्व ग्रह विशेष र हितप्राहार विकाशयातायायालयाहरतारागद शिव किं सार्वशदारंति)रणा) सादा रति देवशएर श्यावदे यायालय स्वारागदेति। ततसिंग्याय की सत्ता यज्जो शरिया मंति मारपरिणामति एवंशावतिकाश्या एंब दिया सायादा एलाकर) निकालस्माद पति/उदारण रश्याएं) सीवरे ऊसलाग साख छतिसमतिप त्रियामायायादार स छतिस से दाउद विद्याश्याला ऋणदाइए एवरंगिय माब हिसिबदिए याjaa)गा जायाय दातारागदे नितिगत संपायला गोसयालिसिका हरे विकृतिला स्मातिएक हारइया। बिदिया ए यादा र ति गाब दियाऽविद पाम एद तितके परक शरक वा दाराराराष्ट श याजयाशलाला मादा एतिसारसे से यादा रित जापा तितिमिरछतिभागमादारिति गगा इंच)लागसदस्माति फासाइमा गाएं। णामाश्रमा २६० मरणाविका आगाफा २६) देताएगा| यादा
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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