SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 432
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ग] एमए आदारण्डविशद त्रिकालावा कि संजयास ऊना संजातख सादी एव सिदा सागाराववत्रेणलातखब्बा। विकासविशेताम्रागारादाविवाचव दारोमदारपणे सातपुचागेो एकेर लियादा रएय बमबादा तब मचादारण राम रखडा गंतव्यदण्डसमकक्कासारव काले सारखा सम्मिणि सपिणा। कालानलसारखा तिलांगों के दलियाहारयतावाकवलिया द्वार पनि काल कर विरोदा गाउदारमत कामोदभूचाका मिश्रणाद ररएया जातप्रणादारबिणादारा विमत्रेणा दारादाकवलि) अणादारययब सातबा गाऊद एमएए के समये) आक्कासि गादास मानकर लगा दारए ऐसा कर लियणादारप त्रिकालागकर चिरंदो के बलिणादारए विशदयमानानंसि हाक लिमादार एलव चाकरणि दारएय सिहाक बलिया दार एपचागा) सादा त्रिदेव लि
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy