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________________ लालसा शिससा दिया। कण्दालसा शिरसा दिया। गाव सिएलात पुढ विकाश्या कालस्सा एंजावातालसाय कतार२दिता यावा धागा सहावा वा ऊदावदियो एगि दिया एवरेका बालस्तामसखा गएका शितूसिएशनात का लस्साए गीलकाजाल स्नायकवार प्यावाधागा। सह चोर।। लस्सा गालालसा शिरसा दिया। कष्टाल स्सावि से सादियागिपरेवाकाइया) एंविधान सित वय्यति काश्या कमाल सागजा वातालमा उदाए गिदियख दियाग) बे इंदियात रेटियाएं। जातका योगेशव सिमांतातयेचिदियतिरिरकाजाि याकालस्तावत्कालस्पाणयकत र२दिताम्वा गाजदान दियाऐ तिरिरका सारण।।त्रिम विदियतिरिकाडा गियराज दात काश्याश्वतिय ऐविदिय तिरिस्काऊा गिया। जहाज दिया गतिरिकाका रिण या गाव काजल स्मासारख्यगा। एवं तिरिरका एविधात सिगेलोतसेखश्चिमपविंदियतिरिष जाणियाणव कम
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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