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________________ एनাमूत्र गिमिरति ॥[गा। लिम्मा इंगि सिरभिञ्च निम्माइंसिरतिडा लिएमा इंगि सिर ताता ऐनपरिवही परिवहमा एमाइशला येतं ऊ सति। डाईलिमाईएि सिर तिता दमावति संवेद्याशेजारपाइं गंता विदेसमा गच्चतिशत सिला पंचशिहालादा जगावणाताला प्रतिविशदातादस्मात्रागा लादापयशलाद अमिया/लाद तकिया लादाकरिया लादास किंत खेमाला माण वातवरम रारा|रखे माणसासारखे कारणवा स्यारंव) काएवाजावरू माद aal समास किंतययशालादज एसाशास्त्रार गला एवा) कदली घस एमला वायरोलादलदति।। Havaiaalrajतेज मिय्यालादरजैति लखमारामार मासखमारारापि‍ लाखमा पावा) मरिखमा गवा) सिंगावरखमा वा जसिया एलोदन देति॥सतेज स्मिया ताद/a/ सकि अतमिशालादरऊ मे अगमाण वा तलागाए वाद हा गवानदादावावा / डरकरणी गवादा है या गावाअं डालिया गवा | सरावास र ऐतियाण वासरसर ऐतियाएवापत मियालादन्तवसितं १५३
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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