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________________ चेक बच का ग्री पर नीवंसगम नादिन वृ प्रवादः॥ पात्र श वक्कतिरविदियतिरिकाडागिशरके तियमस्सा एया से जुडाऊगारादियमारा समरि यम आणी राणा मंतराजातिसियारमा) गिटारां। जहा या बागात सिगोलात जावासे माजा ि या विमाकाणियाएं २दिता प्यावाश्याशा लाशाविसेसा दियावा सेमवियमा जालिया दियडााणिया सारखय्यणा अडोशिया गणातिविदा माणसाग दाऊारण एक सीपत्राखया जाणीवत्रमपरिसमाऊ एक माया गोडासा एनमरिसागश्वक मततारकरबलादवा वा दवा/संवाद त्राणांकाणी विरदणस्सा संखारन्त्रायणोऊ रण एबढाव मतादिकमेति चतिवियेति रणांगती सापत्र जाए)मिक्कड एस्स) साएत्रियाए पाऊणाए पऊडागशवकमत गाजली देने में समरण कितिनता पदवीमालास करताराखयताएं कलाधम नातिमातिमत्म १४२ यासंखावत्रा) वयोवाजावरा [एगा) संउडाऊः रिगटा
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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