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________________ सवा ३३६डियाद मायकाल या। परमाप्रपोग्ला बागावास करणाएं। |एगा। दम या कालात पर मायाजाला जदमा एकालग्रस्त एडल्लि | पाद सध्या चाल्ल गाद्या एचाल्ल विताएका एडि प्रवास सावरमाएर सफासादि। बधाए डित | एचेाका ऊममको सय कालए विशावरेसे घा एएसिया बाग | एग्जलस्सादा मशवदिनले कालय विशएवम) बाडितन दस गुणकाल या सेवे साका एाएं रंगा हम कालय/डप्पसिय ऊदम गुणकाला सायादसियस्मद३६| यएलएसएले गाद व्याप सि यदा एसियालसियमप्रति अतिदीरण यादसदा तिम्एसमझ दिए विए) चवका एव डिए । कालवस्मयद्यावदिवालय वास सवस्मादिनवरिल्लचच फास दिम् बघा एव डिए खबराकास एकालय विशदममप्राक्का सच या काल‍ शचव नवरसाएबा एडिता पडावदससित एव२५ सय विहीगा दगातार बाज दरमा एकिालया ऐ 226
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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