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________________ एनवणा पत्रमा प्रवद्ययणा।। बादर मिपादाय छत्र यासारख्या वादस्पद विकाश्यापद्यत्रया असे एव यणा।। वादरम्यान काइयात्रासारखा वादखा इयाछत्र विद्यया। अम१८ विका प्रसारणास शाखमानक ऊमात का रश्यापद्य सावद्यया ऊमासाश्काइयाछत्रासारख्छ लातखमाणंबा दरावयपद्यत्रापछत्रा रवा (शिसमा दियावा।एगा। सोदादादरापछ त्रगावादरायण एछत्रगात्र्यसेवा ।। खऊमा पत्रमा संवा बारात जमवा] कार यामछत्रयारिमसा दिया। मुम निरगादापद्यत्रया इकाइयाएछ या बादरायाविरमसा दिया।स गाऊमात्र यारिसमा दिया । उपसि कतारक तारदिता वावडयादा उल्ल ऊमात्र विकाश्यागबा दरचढ विकाश्याएर। यद्यत्रापछत्राण एकतारकतार ॥ पावा यावाचिल्लावा सिसा दिए यावरा।एगा।सोवा बादर9 विकाश्या पत्रगा। बादर१७ विकाश्यापद्यत्रया असे राय ए)) 32
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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