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________________ परिणता दिया ऊयरसपरिणानाशिक सायरसंघ रिगताशि बिल रस परिमाता शिमरर एरियाता गियास गरुया फासपरिण शलजय फासपरिमताशिउसिएफा सपरिता शिणिघ्यासप रिता शि लसेवा प संवारिता विगतेस सेवा एरिताविवरंसर तसे ताऊ फास मास परिणतावस्मात कालव मपरिगतादि। लवस्मय रिणवा वि॥ला दिवस्पपरिणता विदा लिहा मपरिगताविशखक्लिवमानादि गंधमशिगंध परिणतादितिपरितादि। रसतित्तरमपरिणता कडयरस परिषता। शिक सायरस परिसताव बिलरसपरिणता विमकररसपरिणतादि फास गरुर फासपरि एता विलिय रिपना बिसातफास एरिए वाशिसिएफासप एता शिसेवाएउ परिमंडलस परिताश वहसेवापरिगतावितिस सेवा परिता शिरसारणतादिश श्रायत संवारा एरियाता॥ऊफास गरुयफा सपरिणाम कालपरिताशयाला परि फासपरिगतावि
SR No.650015
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size297 MB
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