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नीरोगनिमिला गावी शरीर बाजनतिशय ॥२॥
गोऽग्धमभवत्तमं मां सलोही अव अतिमा ॥३॥
कमल विशेष गंध सराय सासनी सास साउदले वानी सासनी न
क
सुराम हे "निरामयनिरुक्ते वागाय ही गोरवीर पंडरे मंस सोणिते च ममुपलधियनस्सास निस्सा
चीनच्या हार जमानी हारीघात्सर्य ब्रह्मादी सनही मांसधातले धर्म मानदीपमालिका य्ध्या ते ममिलन की बायकांधमाल गंगार विनायकम
रस ४ पाना हारनीहारे अदिस्समंस को 4' आगास गयंदकं ६आगासयं तं गा दश्ष धानचामरयुग्मवा श्राकाशमापरित्येतनिर्मलस्फ सहिता सिंहासन करी विराज मन्त्रतिय श्री तीर्थ करनः ॥ टिकमय पादयति ॥ मानवज्ञानमति ।
कामसलिफ
कागती गगनदी कानात सात श्राकाशा चक्रतिनाय ६ ॥ मनश्रतिशय॥७॥
मतरता
पताकानासह यरिमंमितकद
सातसय वराम रातो गा सफा लियाम से सपायपीटसी हासणं आगास गताकडली
तशत मनोहर बीजानी अपेकाईमा पुनः जिहाँ पनि समुच्चये । धा क्यालंकारे।। जिनभागलिएकी वाला। सरिता सगदंत उतारह
सहस्म परिमंडियातिराम इंदरतिर अहंता समर्थनो चिठं तिवा
बस।
निटांन निश्वरं ।
कीन काल पत्रक वायव फूले करी ॥
पल्लवते करते मातसर्वतः सहजासघंटन मनोहरय राइकरीसमाऊल सघलइ ॥ करीम हव के नामा
सीयंतिवातवियत कादेव संपत्र समालो सह तो सातो सघंटोस य