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समाय
रवि सय सोग गछीयस्नान मिनी के तलाई देखिसामी नरकवि कुमारदेवनी के लाइक नीरयन्ये यम स्वि तिच्याव ३ २४ २५ २६॥ कुमारकानी पापमपाला कारकीनी२६वी सागर मामा कही सोनदेवतानी ॥ गइ या० क विकही ॥ तलाइ कनीयापम सिकिहा ॥
स्वितिः॥
तिरति सयं सो गोड गुंडा हमीर के उदी संपति सम६ाग असर २६ पलिता सोहमीसारो ऋ
मध्यमश्वेयक ई.एनले पांच मयैवेयकदेवला नीजघन्वी सागरस्वति करी ॥
जदेवता मध्यमदेविमृवेकई। विमानरे विष देवकप | अपना ॥ तेनादेनानी पसले चोपपदेय कई ॥ सागरो मस्तिक
हो
पलितो मलिमर गेवेद्य या देवाएं हंग६ सागरी देवा म क्षिप्र हे ठिमगे विद्य विमाणे सुदेवता तेजसा ते सिउर ६ सागरेश सहदेवाने बावीसेई मासेर६ स्वासोश्वासलेई बैंकेत लाइक सत्यकजीवन रहसनादी समग्र समवाय लिपी येते ॥ प्राणानियात विरमणश्यवं पंचवि पश्ववाई ॥ वर्षमानैातर जास्सर्वश्कन सत्तावीस गारना सानाचा मधमहान मृषावादम हामी ला उपजातिकरस्य। इति वदीमा त्रिवित्रा पनि कर नई || नाममेरमा मन देरमल परिषदेर म | तेणं देवाबद्दी सागऋद्धमा से हिंम्रा रामं विवाध काकतकरे रीति १० सतावीसंत्रागार गुणा पंत पागा तिवा तरदरम
य॥२६॥
श्रोत्रंद्रियनियहाद्दयावन नियह पाघाणां प्रियनिग्रहणरसनेंद्रिय को धनवविकल्पारश्या सावसत्य "करणसम्पत्रोद नाच विडिय।। निवरण स्पर्धानैद्रियनिग्रह ||१|| त्रामा विवेक र माया त यिनिमितकरामताक विकवकर मानादिकक दो हमा १५॥ याविषसामान मामादयनि प्रसंगम
एवं पंचविसा दिय निग्रहे कार का सिंदिय निग्रह को हवियेगे आवलास सावसकरण सधै कागस रकमा विराग
ही ॥ मनन समाहरण एमवचनम कायम ज्ञानेकरीसंपन्न एमेम चाश्विमं वेदना श्वसहमता सीता माधुयोतिकञ्चधि सहनता। मारणालिको ए व्यापारी माहरणना माहरण तामहितपल सम्यर्कसप पन्नता॥ किन सह ॥१६॥ सन 199 | सगुण ॥ सताबी 1211 ॥४॥२५० ससा के एहक ॥२७॥
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॥७॥
रेता प्रणसमाहरणया रविस का तस गाणं संनया दंसण दति तय अधिया साता मारणं तिय हिया सातार
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