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________________ विद्या मष्पन्नईपनरका रुपये कहना योगकामना काथा व्यापारतिक ३३ ॥ मृषा सत्यानृषामन मनोयोग योग समुन्ना राईसवति श्रणुप्पदाय स्तपता रसवपसना मणूसा पारस विदेस मणप्प सत्याया यमयात्य काथाना सात योगदार वस्वानुत्यति समयउदार मनयोगः कार्याकमा वृषाश्चनयोगस्य सत्या वृषावचूनयोगव्यवहार वटा रकम मिश्रीलाल गइरहे काय पर्याप्तमान वचन बोल व मे सत्पश्म मजकिरकाययोग‍ वैक्रियमिश्रका एवं माससञ्चारमास' सच्चामोस एवं ईनरा लिय सरीरका परा लिएकी ससरीर व विरवर वि प्रसाई प्रधान विष केनलाइकनापकीन पश्य पात्रका ॥ घीनीराधिक व5\\ विद्यापदर्विहन ध्यान विशेष कदा ॥ याहारकका चाहारक मिश्र योग काययोग || का काययोग जिर्वर केवली या उसकी केस मुद्दा कतिवार के रजीने वाप मैसम कार्मल का योगनाश्ना २न सर्व जीस श्राहारयत्राहारयमी सयकम्मय सरीर काय इमीरयप्पाडवीय ने श्याएं पार पचमी साश्की के तजा एक सुश्ममारदेश्न केलाइक तारकीनपनर सागरोपमा नरपल्यामध्ययान का)) सो शर्म ईशान वाकनविष के सलाइक देवता]पन२१ल्योपमा क सत्यमनयोगश्मन नस गप्पा ॥ Ne स६ि५७ मा विमान देवना महाक सातमदेवले कशकेत लाइक वेदनान सपल पंचमा पारस सागर पारस पलितों सोहम्मी सासुत्र यस रसपलि महासु के मंत्र साग सात नंद नंद नंदावर नंदला नंदकांत नंदनंदन पञ्चाक्रष क‍जे रदेवना। ने निंदकट दोश्वरा वा [3] कदर ॥ 3 बेपारसाग जे देवा पांसु दे णंदावनं ययर्स की इतोले संसार मे सिगं विमा देवताने वा
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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