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________________ पाई सरी आयमेकती लांबपल विद्याश्रणि मरतीवेलातिहाल गिति नमकार्मचारी नापदेशादि करव निगद्ययकदेवना स्वाजा निहालगी नाते जे सवारी नीचे वगाहमापनका मामिमहाविदेह ना लगई साईलिजिए लग =मकाज पानामा विमानानि भाषामग्रह घपला इति दोगमनुष्य के प्रति किम सिबजामुनेत्रान बालसंग हाइट सर्वकादिय में) नारी दिरकं सर्वहारा श्रहेकावदिद्यादर हर से बीज उके. शेर्पा [हिका विनम्र की बहू मिश्रा द्वाधा लोकग्रामा पनि मजायचेय कदेवनीपरिश्रनुवि मानवासी देवता नेहमीसारीरमी सभपती हा विदत्र तिलक समारानी पत्रिका मंगाराश्नी श्रदगा तेजससे रश्मी श्रद्गादनाहिना जाणिवा जा महान कोदवनीस्वरन कालनि कार हो लोग तिथा गामा उहा दसथाई तो कीमरूप विधान मानेकदम टकराव को यह नात नायक सत्य बीज के योपशमिकति महि त्ययश्वदिवमार को भवेयापनामिका मनुष्यति वकील विषयगत विकाशयतः श्वयलाई सागियाँ बसेरदे बिसय सेवा a की म तामाकन विष दिमागाइतिरियं मणूसदेतं एवं दत्रणनरोदवाइया विपर्व कम्यसरी बीमादल) वकालत केवलज्ञानला विचार सदधिकमिदनिकही निर्यचमनुष्यमान ईलोक मात्र स्कु आकारबारला पटना की बस्तियापन कसान फलनी प्रतितील माषातिपातकमातिपरमादधिपतिपाती गान रीमा कामविश्कार का एक नवत्पयते देवमारकता कोकरे नत्र शिंतरेब हिरेयदे सोही हिमव हि दाणी पडिवातीचे पडिवाती निविदेणं दीपं गोविल यानमन कषायकटीकष्पाच्या केसी कप नेक जीव पर्याय कालिमश्याका नासि मनुष्य प्रयोगविशेषकायो अवमाना गणत्र विभूति नगर्न अलियेवमनुष्पमपि पत्र व सूत्र की सम्पि इमाल कुकसी। सीतादिकवेदना विविधासीवाला तो मां दिन की नाना वदना वेदव्यादिकसेदन प्यार वेद नाति माषय संन्यवेदना ॥१॥ नार दिन पपात च संबंध धका क्षेत्र वेदनाश नारका दिया युका सेब का काल वैदवेदना विनायक नायकीतावे वेदना विनाशकारक वैमानिकी तरल गई कोरनीव देना वैदेश। तमासा नि त्रिविधा तपय समय एवं सहनु हिपदेला सीययद मे सारी रसायनदेव सावरक चाल ।। सुखा नारी मानसी चाची रमान भी निसीम की या पंचे यत्रिदिना समघरलाई जोनल वेदना वेदज्ञासामा साना मांहि सुखखमा दिन विशेषासातासात क्रम तिवरगंधर स्वशबी नासालाई विनासाय निशिवावेद देयप्राप्त नायक फिल वदीर्यमाणानीकमप निविदेनसानामाकारोव मय (कार देवेनी यात्र ३प कम की पोजीवेदनात जीवनाक करानावनाविवशतत्रविदेदना सुखा रखा सुरखड स्वाति गान लजिम यता बिलाचा ! नवेदनावनदी राक राइ घादयर १० र विराजइत्पादि मोदक मियादा इदच्चदायारने श्याम कि सील वेद गंवेदवेदेयं तनुसिांवे सीता सियावेद इसंख्यामा सह नार की विका प्रकार श्री श्री जघन्य धक पनिहाल गोपश्रातिकाम) संख्यातीत दिमा जाए। नावध की जयन्तः श्य निद्राववेिदना वेदशा निहार्थिवीय मनुष्यदि वेदमा वेद वाजा सर्व मिकीदेदनादशहानंदाचदा निदिषका वेदना एका सोना जगपण देशकात निंदाय वेदनाकानीजी जाट सिंह की गिनिंदा सङ्गीवादनाने निवास जाना तिल सर्वाधिः पिन इस देसी ही शिकावायका प्रतिवेदन HPDes किनकी विपरी 5
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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