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लापाच्या सहस्रप |दनइप २ मा ए
संख्याता श्लोक संख्याता होला श्रवणबत पिंविघादिक यादवनानि चराकर नीरूपाचा इतिहांलगि
四川 श्राख्यायते कही य
सतसहस्सा ये संखेद्यारराजा व पवंचरण करणाया श्रायविद्यति मदसातो' ब सकिने
अनुवादानी प्रतिरोपपातिकमा हतासा ग्राम लिनुपपात जन्म जद सानु रोपपातिकान नेकपना ।। नादशादित्रायध्ययन ॥
उद्यान चेत्पवून माना समोस ६) पिता ॥ चार्थ।।
श्रीनगरनगर
विषन)
धर्म इहलोकायश्लोक संबंधि तपोप कथा ॥ क्रधिविज्ञापः सोगनपरि नसंलेखना ।
त्यागः ॥
अनुक्षरोपपातिकदशन
विषश्
यंदा क
पुत्ररोद वाइयद सातोपुत्तरोचक यदसा सुनरावदा नियागउद्या देश्वतं श्रम्मा समोधम्मा
अवतरविमानन वलीसुकलनविषयं प्रनः दली बोधिजनधर्म श्रारमाय प्रत्यायाति नातिक्रियाए कही ये तलावांनांजिहा
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समोसांई परममंगलि जिमनाति विशेषदेविमल कपनकारी ॥ नाय॥ इत्यादिक
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विद्यति ऋणुत्रवदाइयदमा सुतिकरसमोसरलाई परमं गले जगदिता लिजिए लिसे सायबद्ध विसे साजि
जिननानिष्पग निश्वईते गणधर के वाश्रमाग वेदनाला केल्यास्ति परीमेहरुण सैन्य होते करीत वेतनेदार ज्ञानसम् लधरादिकना ॥ यतीनाग समूह मोदिप६२१धान र निश्चलयना वाजिदमा लिपरच करत ना कृतिकरो सारफला विविध का तेनाली के हवा माम कब प्रकाशस्तला जगुण ब
४हस्सा समानब )
सीमाचिदसम एवजी से धिरजमा परी स द से सखिलमा पाएं तव दिन चरित्र एए सम्मतसा ए३
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