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________________ सामाय निष्पनश ३६णाएं बच्चीस सह समजू याएं दा गराएस एस यच बजवि गोरा समर्दिनाय उलट्या विवा मध्य स उद्देशानासहस्र॥ हापान गती नाय यादा संख्याता वेढा संख्याता श्लोका एक सातिरेक अवयव नागणिताच गाईपण पांच गई। एक त स्कंध इज हो ॥ ना ॥ त्यति करा विश् कार || दिन नावार एवत्री सहस्र न्यू बानही ॥ व्याकरणष देषामवासना प्रकाश तेन घकी। घाई का क्षेत्रीसहखव्याक २०७४|| काफरंग थना। दरवाजाचं गता यच मे गेोरोंएगे सा इरेगेचशया सदसते हे सग म हस्साई irt 11 || संख्यातां अक्षर धनता मरासी पदपरिमाण समवा योगनीपेायोजन मणक सोसहस्रपातेहा नलेवा ॥ गमा दस मुद्दे ससदमाई बची सदागरण सदस्साई चउरासीइएय सदस्साईट एमजिहाल गिवराम सरकराए पर्याय।। सगवती सूत्र साधना स्वता) शास्तादिकपदेनी पिंकवि हमारांग एलई क विष की निबधक व्याख्याचारोगा अध्यादिकमीपणा सगवती नइ विषइक ही संगती ग हीन विकाश की ॥ तागमजाद सास या कमाणिबघा आघ विद्येति एवं जाव' चरल करणपरूवण्याचाघात से दिया है। सिकता अघ कि स्पज्ञात कहां दाहरनका हाताधर्म नांवदाह नगराद्यानपत्र झाला धकधाग ने झाना धर्म का स्थानषि रणनफलोपत्र ज्ञाता मेघकुमारादिकनावदारण) पाया छकमारा अंतराय न वनखंनेकजात नाहक शोसिला राजान माता कथा।। से किंत गाया धम्म कोड गायकदा सुयाद्याला चिनिया तिवरा समरायाश्रमः ‍ - हितनाथ गुणरुपाश्रयाया ईनी दिलक्षणास्तव हस्त हाइसरीपप
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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