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________________ । “सरकन सरबत सरकax Emainro शमई वाताड॥ शलोतरासिक धान पुरत्या सूनामपि सूखमा सरकारलेशन RUR सूरक्षा श्ययस्यविमा लासर बायसिंह दावा शिकाएलईका सन्तविपरशुमान महान मायालोरमा सलिस्सस्मयंभू रणा समय सरका१॥ सूरोतरावंसक पक्षविमान उपमा देवनामा मष्टपण॥ पावसागरोपमापनका देवतापात्रा दि भिम सब की तरहडिरामविमाणदेवताए अश्वनासिकागोमारोमा नेदेवतानपक्षियरवधा। शमउसासाला घामा सास नर देवताने पांचवासिहा भाहन मले। लेहमीच सासमुकशा दिगोदेता येवदंतमासाणे भागमति पाऊसनीसनेसिणंदेवाणवविद्याससाह फहिंधा नकि यह केसलाइक संसारमाहि जीवा मेयांसनेमांत साकस्पर क्रिस्पातकार सर्वरना बाबा सयक मटकारस्य मोहजास्पाऽतिपक्षमाणसम मनि॥५॥ गरणमुपधाराने मानसिविदा प्रतिश्योहिं सिभिरति आदतकालिपति ARMarjकस्बाबनेपाकहीम महाकाल नीलाशाकन नमानाफूखसरीधाकापासलेस्पाहिंयुलासरीधान जलेस्पारिता प्लाक्षिक फलकनासंभास्किीम्रात्माननीयमीतल वर्षाले मरीपदाम्पापघसरीबालपादसे सारमहिनश्कार जाद। परिणामन्यापूरोपरिणममधूया सेश्याम करीत प्लादिषयमा छिच्या परिणाम स्थानकायजीवसमूहाकदिय। समापन सहा वारसागरल-कारकारला सा जीवशिकायत मायशात्मनःस्फक्षिकस्पतत्राय नेपा मायुज्यतेरितेकरवलीनीयल।
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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