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________________ अबाध विद्याज श्रीतश्चक घउ ॥ काय जना लवण समुद्र बिलायो जनाधार आएसई कारला सर्वमिली सास सायोजनघयो।। माहिदोष देवलोकातलाष विमाना वासक द्या ॥ सातिर क सासह साइंच्चबाधारे में नाहिंदे कपेय दिवा सहरसा पर अधिकान व सहस्रवधिका नी अथा। लाल धनाशकालीना पुरुषसिंहपदमव वासुदेवादाला वर्ष उपराठा नव सबसे सूनी विवित्र गलिबजाव लगई ॥ साष्टघ वीर्यै न रकन विष) अपन॥ इंदिरा सिह साईज "रिससीहेांदा सुदेवेदस श्रमश्री महावीर वीरपात सेवाग्रही नारकी पण कोरियक को मिलेंगे सामान्य यादी कापान विदिताना ते स मश्री महा तिको विषयमा चारित्रपालान बीजे व सहसार देवलोके दवीय नरपसुनेर समग सिहां गृहस्व पणश्वलाषवर्ष रथा । पते । एकला वर्षचारित्र पालीने ९९६ ग्पा श्लामपंच कामदेव ल पांच में ब्राह्मण देवानेघानी काहिकी पासी मईदिन त्रियमग्राम नगर शिगमषीदेव त्रिशला देवी नाक वाह सामसा परियागं पाणिना सह स्मारक प्पेस ह सिदे विमाणे देवता एडवणे श्री महावीरन ॥ वश्तालीसवर्ष एक सागरकोडा कोडि एकपकी मामीकोमा सहस्राविचाल के फिनीसंख्याक यति स्म रहतो सा तिरे सघलयंत्रावषवं पांच माम पाली नई सय सदस्मा सहाये पालता पंचमा एड की हिलनासह विषय गं वास नासह स्मारनिश्राम देव लोक सर्वो सिनाममा विश्व सवईप हिलनामा रायकरावर वासवतिरोधीनी सायन गरी निदमराज का लोहे पो नवग्रहणेयेगं दासको नि श्रावक a |स्स य महावीरमय्गा सागरो कोड को डाला करस सहब से पचतालीसमापण श्रीश्रादिनाघ चश्मबे हत्या ! पानी सगर्वनन ॥ दारा जानें घरि माझा है सन सिरिस्मलगवतोच रिम विश्वककर बा गरी तपश्रुष मेगसरीषावाने काकयनिद करना ब मावा रोग दोरा संगे पद आयारे
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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