SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साष्टीयवान माछामासंपदाहाललावा विवीन घरासमवरमालीक नियोजन सूर्य धारवासम।। पातिका कहताऊई। सागधकी श्रावसई यससमसागकीसातसें | को सियालोदवाएसंपदाजलानीसमोरया यताएनवीयबसमरमणिधानमिसागातोत्री नियोजनई तारामलतिक्षापरिक्षसया ऋरिसंसना अरिष्टनेमिनावीसमानाकिश्मा लेकस्वावादीदेवताकरीसहिनाम जनसूर्या सर्व जिलानावसईयोजनध्याम श्रावसईचादनीसंपदाऊ॥ अपनसुरसंवनपत्यादिक लोकपत लविलवमे॥ संडायण साहिं मुनिपचारधरति अहलोणं अरिहने मिस्मसयावादीशंसदेवमायासुरमिला गम्भि वादनाविषश्नपनिलजीत्यानमाययस्वामीनकृष्टी marnाणतरण मारणदेवलोक विमानन वादीमासंपदाज। देवलोक देवलोकातरमयविश्व संयोजन लोकविष दातेवपशकिटयानो सियावादीसंपदावा माययाणायारणधुले सुक्कय्पसुविमाणागवडायण चाचपण नवपतियारसन्योजनातेदमुपरिपाचन योजन संघकी निववर्षवरपर्वतमा समबंधणी पन्नताकरता निषधरबशेसमितीनवसपा अध्यासिननिषद संटनमम एल्यूसिवरनतलासा छीनमाल साउणयहालिसाकस्सागोजारिजातीनिहालातोलिसहरमवासहरयासस्नसमेणि | पहा नवसन या श्राबाइवि अतिश्पनन मसानीलवक्टेयकी पणि वरती सराहनवसप्पिणीयर करमवस जन धान करताका लग्नवसमाजमातक विमलवानपरिलमधमुपा हलेसर नापासयात्रबाझापसरेपण से पानीवित उमानिसमालबाहोणाला
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy