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________________ समाय [मिका जन लगई मरु पर्वत चान की यह निदोषघानविषयमन तदनन हे विलाश्रमं तान तिहविल्यावर मातीपदेशकानाम सौगंधिक कं मति नव विज्यरमांत बेहल्य२महदेवा ॥ पचासी सईया जनाधा। विद्यालयांत २] कदाचार बसाई विणकाम साहिल नसोल सदसनको एकेक महसश्यो जनप्रमाण निमसोगंधिक का नाव को मिली सयोज नया नंदनवन पावस सर्व मिलीयस योजना ठाने।। मंदावण महिना तो दरिमंतातो सोगंधियस्मकं मसादे द्विल्लेव् रिमते एसांचा सीडोय्सदा हिवासी भवानिखीयइव नोमानी कश्सु विधिना। बाजना मष्पदंत ॥ सातमास अरिहंतनाग सीन बासी८६ गणधरा । श्रात्रप का गणकद्याइतिमतांतर) | पास वाहते परमते व सुविदिफदं स्त्ररह बलसीलिंग गाबलसी संगगहरा ऊना सुया बीजीवाश्वाष्ट विदी एक लाभ क्षेत्रीस सहसको युगजा बीजी घनो दक्षिणवीस सहस्त्रन ममते हवी जीष्ट विदीना बऊ मध्य साग की मीमी हरमीत हंसना बयासी प६ सवा दाऊम्रा श्री जिरगवर कदा बासहिसहस एतद्रकलाष मदन यो जनतेस) घई लीजीये ॥ | समतोल सीनिवास यात्रा दो नागांव मशदेस नागान दो इस्सर गोद हिस्सा हे विल्ले विद्यालइ श्रीवकाम ॥ हिवरसपासमा लिवाय ३॥ वरेमात इतिब्या सीमा समदाय ॥ मेरुनव पर्वतनन पूर्व घकी।। ६वासी सहस्त्रयोजन॥ अबाधा ॥ बेहल्य प्रदेशा दश्मिंते यस बलसी इंडोयासह स्साई बा हातेप्रतरे पलने' व' मंदरापत सविमित्रानो विदयापदे वेलंधरनाग गोधूलनाम तेन चश्माह॥ सत्यासी सहस्रयोजनाविवाल जी योजनेगो स्तर शाधकी॥ मेरुको पर्वतली सत्यासी पैतालीस साजन विदधदना सहस्र जनघाय ॥ राजावास | पर्वत ।। विमना चश्मिता तो गोधून स्म या वास्म पञ्चचिमिव श्मिनेय् स सत्ता सीईओ या समाना पंतप ४४१ छन्
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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