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________________ घनोद द्विविमसह स्त्रयोजनक हिवन ॥ जंबूद्दीपनी जगती नांच्या रदार पूर्वादिकमः दिकया कयेन अयं पराजित हमार कही यश्य के कारच्या या जनपि जेबू ६६ द्वारा महगुएासी सदस्रय जना साइगाशमा करायचा हा पालकाजीपनी परि २६ गुलामीदिया विलिपण कोटी गिरवाया जनविनाग पामय । समायं बाहायचंतरेयगते ही नगदी व रसदार या सीईओ यासह स्माईसाई रे माई विश्य सीमावातिषीय उपाय श्रेयांविष्टष्टयलिन वासुदवसी धनुषधा प्रयास पारमारितनसीप सजिन नार बागांत रेयाने ६ सेां मेगासी ईशा विविध वासुदेवेसी इं राजा पहिलव बलदेव सद अथल ऊना। टिटवासुदेवे ॥ आणिना। शिवा ॥ सीत्सहस्र महाराजा वर्ष लग ।। इत्रे गांजत्रा प्रयले सांवलदेवेसी ६ इंजनतेचा विवियां वासुदेवप्रसीदास सद प्यारलाप वर्षल गऊ मारपणे बीजाराज्या व स्वाथइ। सर्वा सहस्रजा लिनु।। नवलापहिला दिदी एक लापसी सहसा नाकार कीरसयोजन साल सेन यर दी जम पंक को वासी सहस यो जनमानाची अपपाली बल काम असीसह सयोजन जामपणइका) ईशा में बी अ बताइ हा देवभवराजसिंहना। स्साई महारायाचा प्राम्बलेश कंडेप्रसी इंडीया सहस्रमाई बादल्लेगां पं ईसा एस देविंद सीसह सामान्पकदेवतापस मानक छ । पदेशकरीन।। जंबूदीपनविषइजग तीन माहिलपास। एक सव मी योजन लगइन गाहीन ॥ मदेवशमो सीई सामायिसाहस्सी तो ऐ जंबुदी गंदी के सीनतरंजोयासतंत्र देशास ६
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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