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________________ यहचानो सदस्यमा धाई विद्यालयांत रख काम की विजय गमकनिदिसि पोलिए सहस्रयोजन व मानिसहरुलाइ तलइस इमेरु पर्वत मांदिया मिलीसह जनध्यो। इन्ही विजयवार नवममिति विवेपर लीक की द लो जी देखयानघाई रिमंतातो विज्ञतबारसमपचविनिवमिते समय साईना हात में पवंचन बधक पंचावन पायनापावान गरी । हस्ति पांजराकानी दाण ससाईकलक मलिकार्य वि पाक्षीय प्रगटक राजे कल्याणक सिंतिक तंत्रपराजियंति समोस गदं महावीर अंतिम राज्यं सिप प मंत्र गाईकन पापफलविपाक मृगौचादिकनांक टीनश सिध्धया। बुदया। यादवत्रा दस ds: पक्षी घया। दरमांतकी बल्यादे समायं शकी जंबूदीपन शर्वनार विजयनामन पश्चिमाचमान दल्पः पदेन ॥ एजयंत घरपश्चिम जयंत पराजितहारनीत रजा वि॥ दिपाककडीयो सुबाजकुमारप्रमुखांध्य नामजपेदाम श्रमवंतश्री महावीरने एली त्रिशंका कर दियमावास्यानी रात्रि पालवी वाली॥ शाफल विदागाईपण मंत्रमय्याणि पावफल विदागणिवा गरे वा सिहेनुहेावणही पटम वि पहिली भरकटवीय०श्रीसलाषन रका वासा। बीजी नरक पृथिवी पचवीस२५ दवमावरणीयनी नामक बता लापन र कावासा बिन रकष्टघिवी मिली पंचापपलाषनश्कावासाकह्या प्रकृतिना सीमप्रकऋतिकही। तियासुदो सुढदी सुपायसं निश्यावा ससत सदस्सा में दंसणा ३२ गाना माझ्या तिचे कम्म पानी विकर्मनी पति पंचावन पवरपेतिकही। इतिपं धावनमसमवाय संपूर्णः। विपन्नसमवायलिबाग ॥ नक्षेत्र चंद्रमा साधप्रयोग श्रसंबंधक रिस्पन जंबूदीप घीपनईषि उपन्न ५६ संबंधयोज एतजीपमध ताकरता माझ एकेकाचं मानशि पगडी गांयां उत्तर पगडीतो पंप ऊंबुद्दी गंदी देवप्पांरकताच एस को गंजो पसुवाई विम ६०
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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