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________________ तर परीक्षवमन गरि सीमित । श्रचचन लोगन मरि शृंगार खिला सनां गीत । हमिवाना है। लोगन स्त्रीत निलच मन्त्री र विर रमाश CORREC पत्राचारंमिशा हमंतरे सिवा निनंतर मिना । कइयंसंना रुपये सद्दे वा गीयंस देवा दमियंस देवा। शियंस देवा। कं दियस भूले मा दमाशट्न शीरमविहरविलाय करं । मधु स्त्रीमा स्थानी आचार्य निषेधमधुश्री ताणशतारित गरि विहार देवाविलवियंसहं वा सुत्राददशमनियोद्यानंकदमिभिच। श्रायरियादतिगंधूसारखलु वीणं अहंतरं शिवाह छा हवइ क्ष सेभिगां येप सीततांतरि संतरं मिवानिशंतरं सिवा कश्यंमवारुभ्यं सहयोगी यंस हंवा हरियंस देवा | घपियंस देवा । कं दियं सदेवावि 'एनाशनमोलल ब्रह्मचर्यन शंका कांदा ब्रह्मचारीतरगा लविशंस देवा। सुरण माणस्सबंत या रिस्सा बनाचरे ते कारण अनिसाधुनिघ । संकावा करताना वाकव लिएमा धम्माल सि निधात्री मरिर्वमे लोगी मादिक परीजन तर कता खलु निग्गाधनीकडे तर सिवा इतरं सिवा निनंतरसिया ||][नानिगघणं पुचरयं पुछ सारणहारनऊई शिष्णनगदेबाली श्राचार्यादिकक हाई नियेधसाधु खलु निश्वयंस्त्रीसितं धर्वयं लोग क्रीडादिक संसार । क कीलियंगु सरित्रादव। सनियांधतं कदमितिचा श्रायरियादा नियंध सारखीचरयं पुत्र कालियां। सरे ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्यन शंका काका विचिकि शाकपल । तेक्षकार नह ददर्शमनियांघ तक दमितिच श्रायरियादभिगगंधस्सा बतयारिस्म । बेलाच रे संका था। कं खाया | झाव४म्मानस्तं सिद्यात कू इयं सना रूइयं सदेवा जीयं सहवा हसियं सना पसिना के दियं स देवा विलवि हवा स
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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