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श्रनादत्रात्रर्य नन] दिडिमोल तिम बयान एवं जिमऊ अरगाऊंद्र दाणीइं परिवरि साविवरम डबलवंतजीयना
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तिम तह २९ जिमचा रंगचक्रवात्र महिदिकमोरंग रावसचाजताच चवही लाचन संयुक्त वज्र सहित दानव पुरनगर दिगाम हारइंद्र देव स्वामी ति महिडिया वनद्दश्या दिवशी एवं पाश्शाइहास सहस्मारका वाणपुरंदारासांक्वादवा दिवई। य मनात मग सूर्य धारुं विद्या मग मिते दिवा कर दी भिवंत गो लई । निमन तो २४ डिमग्रहगणन स्वामी चंद्रम या उन्हास तिमरे विद्यासावन्त्रिद्वांत दिवायार। ऊलीत एवं हा सडुवईचादानरक नक्षत्रात परिरिव मिमानुप्रतिशत निमबहुत जिमते गोत्रम लोक त चाकूर श्वासमदा यता को गर नानाविधधान करी त्रपरिवार पडिउ पुण्यमासी । वेदवाईया र उहासमा माझ्या
शात २५॥
काहगार सुरिरिक नाराय
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