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________________ पत्र 2 रिकरवादी श्रमिमां । श्रमत्याख्यानयायकर्मनबाई तेरुमुंआं सर्व रकधिक मूकासि गणतांकियाच्याकरतां मो मनिशवस्काययाग आयरिये विदिता । सहरका विमुद्दा र लगता करिताय बंध सुरक त्यन्यासहिततो वचन वीर्य मात्र करी जो हूं। या श्वास य जीवन विविधतामा श्रृंगार हा स्यादिक नाषा र क्षात करणं श्रमविद्या पइन्नशा वाया विरिय मित्र। समासासंतिणाय।। रयानविज्ञात्ताय गतासाकडे विकासास दिसन्ना शासनक हिताकर्मिक मूर्खडित नुगर्व जोक विशरीररूपवति विषईतिहास कई मनिष चनिकाया करी जेजीवते मघलाजीव यावकाम्मदि। बालायकिय के प्रसार सत्रादन्ते वयस इसे माणसा कायदाक्कांस रकमं । १२ / जीवानंतसंसारिदीर्घलां कुमार्गायाशते इने रकमनादनादी महाग। संसारं सहित हकारास घालवदेषी नवा जीवनहंस छली द मिजावा भा मियांत तामवदिसंयम मात्रा मशाल १३ जीवमुक्तिनुभिलाषीचंगी कर कदा चिमं मारादिक सर्वकर्मकयनादिसमुहरपाल रेजीवक L ॥ 11 परिचय | १३|| दहियाजहमादाया नामक एक कायाइदि कम्मरवाया मोदहंस मुद्दामा२धाविं तादिकारण बांदियांतरगां श्राश्रवबीमनक्रिया जुष्टानवाब चालि ना हारत दी नई श्री हार कर १५ माधुराम घोमा नकर 1 गंधक मुह) कालकं खापरिक्षण | मायेपिंडम्स्यास्स कडेलहू लव्यय॥ २॥ संनिदिंचन वि मिलन राईपीच्या नीयां रखनी परिचालन इनरं मह हर दिन चाल ५६ साला समतिसहित उचालाई स्वासंयम 21 लव माया इस परकीयज्ञं समादाया निरविरखापरिय॥ २६ए सोणा समियल गाम अनियवचार
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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