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जघन्य ७२६ सागरोधम! )
किष्टाका स्थितिश्य ) सागरोपम। अघनाश्व | सागरोपम
मिदानणं मागराजची सध्या सागराडदी संवा वाका समय। उनि हान्न माग रामशवी सईी। घ
सात मईया कि कृष्टत्रामा खितिशय सागरोपमा जाने सागरोपम
anaकि ऋष्ट श्राषाश्चिति २ (सागरोय
मंमि
|| सागराच गतीसंग का सत्र मे मिदान ॥ सागराचवी सभी ध्शाती संबं सागरां अक्कास म। जघन्यवराय मागिय ॥३४॥ नवमयेवेष्टि २ श्री सागरोपम आमा चितिए जघन्यव ३०मागरोपम | विजयर अदान्नर| सागरातीसी सागराती काय नवमं मिहने ती सई सागारावमा||४४।। रोपम। घरमा गरोपमः॥ पांचमुंसवर्धसिद्दिनामा विमान ३ मा अन्नाद्यत्ती सी मदनमणक्वासं तितीसे
विजयंत2 अयं तत्र पराजित गॐि विमाविष्ट ऊषा स्थिति साम
वानरं जेतली अन्य कृष्टमषानीति । (तेरदचनान तितली
[[वित्रीस सागराशी वाक्काय) वन संपविजयाई ।।
प्रथम श्रायुषामिति । एवमभिजघन्या क्रमान ॥ ४६ जेदे
सागरोधमा महाविमा साह। विगमादियादिया
जघन्य ऋष्ट काय स्थिति जांगिती ॥४८ देवतादेवसंबंधी देद बोमदिवयोनिद तरतई। केतलुवकृष्ट जघन्यतर
। जादयश्रा विई। दिवाशां उदिया दिया। सात सिंक
यविधी अहन्नुका सियासावा | शांतकालय तान्नये दिन मिसरा काय दिवाहात श्राततश्यात २ चितवरचितमय च्यारिदेवलो कनादेवता नई नवाये कनारदेवता ऋष्टया निचली दवना माहि पांच अनुत्ररवि मानवासी दवता रहन्नगं । श्रागमयाई रंगकाम्या गंगविगीतरी आण सविक सांगारावासी।
शीतकालय । वास