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एक प्रशसि एचपी जीवसू सचलाकव्यापी बादरनात्रा दिबिश्लेद । काल
लाएगादास लाए। सय ज्ञान
| सुकुमा सञ्चालागि लगादास यनायरा हा कालविला गंड)
वित्तागबोलिसिहं ॥३२ सामान्यरूपी जीवन श्राश्रशेमरूपी श्रनादितरहित। श्रमनीयेतिदेव चाश्रई स्वितिश्रादिश्रयं सहित शिशु के
अजीपीका दिन व बोनश लोक
स्कंध जाणिव परिमार लो क नई विषविदाता सर्वलोकव्यापी०५१
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तानतछंद द्वि|| १ | संत ए: मान रूपीओचन केशली स्विति। मेरकालमुकामं । एक्क
गाडी श्रपवसिय विद्याचिया समवसियावियाच श्रसंख्यात का। अन्यथा जीवनी चितिर्कही २४ श्रजीयनी स्वितिकृय समजदनया ग्रजीकाणी विगमादिरादितका ल कचार चवीवली क्लीवतरणचं तर कही। 14 तेच जीवनच गंधर
काला जघन्य एक समय रूपी जीवनुए तर कहिना एक स्थान कउए
कसं शक्का समदन जीवाय)
स्पर्श तथा स्वान पांच का रिशेपरिणाम स्वनाथ जांशिवा॥
अंतत्र्यं वियाहिये||श्वगंधाच्या
२६ क्षेत्र जीवन परिणामते पाच प्रकारिकहिये करनी
फासता सेवा राजये शिवना परिणामपंचाalag परियोजना येच होतेय कि शिया किन्हानी रक्तवहरि ५ जाणिवा म्याक्षिकारिक दिया सुरनिगंध परिणम्या | अनइंडरनिगंध लायलाही या दालिद्दाख किलोता। गंध परिया ऊन] 5 विदा नदिया दिया। सुरनिगंधयरिलामा डुमि परणम्याऊं 125 जीवर पाच का रिशेपरिणाया क हिया । तीश्वरस क ऊंचे रसर कसायला रसनविषयम्याजेबजीवस्य गंधातादच्या । २८।। रसय रिगाया। ऊमा पस्दा तप कित्रिया। तिलकडुयक साय दिला एक रातदा ॥ १) कासन
मर्ज वर क