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________________ तिमऋलले। महसरीघाले शालिमकारोरस) रोहिणीधी विशेष तेहनगर समेत गुरागाईका अधिक काममा सुक्काल सामदामदेकमु। जंबार से। निंदरास कड्डुरशिदिशिमाथा गात्रादितंगुर यानुरसादि ॥ २० दरसनदा डिम गड पीपिलिनुश्म कीत अधिक। ती जीलले पार हा काय नायो। उदतिकडु गस्म शज्ञातिएकाऊ हेदत्रिपिष्पलीयवा। शत्त्रादिश्रागतगुणेो । र सानीला सजांगिड ११ जिमनीला फूला आबानारस का चाकरस कमाइनु दयादि नगराई अधिक कायोत लेम्यानुरसां एनाथ हो। २शा अदन बरसा दरक वव ॥ १२ जिमयाका याबानुरस पाकाकुधनुरस की (धादिजारिमत्रादिगुणे। ररमा काकऐ नाय गुण मधुरमीत तेजोलेशानुसा विजरिसन इत्रांत रसात राईना रातमा पक्कक विवस्वा १३) मदिरानुरस नानाविधा सवनुरस श्रम म र मेरकनुरस एरस धिकापलेशानुयधिक रसना वि॥१६४ रिमा ममर वंशमा शत्रोपचार बोली सेलडीए याज्ञा । श्यावर वारुणी वरसो विविहाराचा सेवा राम: जिमखजूरखरमास वीररसरस यह की अनंत गणाधिक शुक्ला नुरसवि ॥ १५ एतलाइ ले स्यानु र कडा हवरेंगे परकार ए खजूर मुद्दियशसारखीरंशसा खंडसकरंशसावा यात्रा विश्रांत गुणा। ररसानसुकाइए नाथाच॥ मऊ दोगाम हलु गाईना मंडगं गंधर्वनुगंधारगंधांनिंग ग्रहिकगंध नीत पहिली बिस्लेशान जेदबुसुरदफलन सागमप्रददा श्रमिड स्मायान्त्रादिगुणा । साम सुगराजहंस देऊ । 1 १६ भूरला ने यु
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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