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________________ शीलवारीश्रादक स्त्रीतरगां हमला क्षण्यविलासहास्यस्त्री सिम्बोलितुं । अंगदेष्टादिकमाएं नोधिनः वियई जो ईवली ते दिवसाय न करणंवला मंत्रा लावन विलास हासन ऊं पिये दिया दिये चाचराचित्रे मिनिवस बहुंतवास मतदस्त्री।।१४।। DROCKYA संसारवंत कर १४ ।। जजीवबस चर्यन विषई। उसके स्त्रीजना ओऽनुप्रार्धतुं । चित्रमा दिखं सदादितकारी तेलचारीमध्यानयोग् GEE सचवण्याच्यचितणचक्त्र किन चास्मारिकाडुगां । दियंस यावं सारस्याएं चली कामतिदिद्दिनूषतश्चगा रस दिन। दिवांगना अधवा गरी स्त्री त्रिअं गुमिमदित कोलवास मन । अहितेय कांत वासि निर्दे अनिमुनि साधुन इंप्र कामंवादचीहिं विदमियादि। नचाश्याश्वासयतिगुज्ञातदादिगगंत दियंतिन हा विचित्र वासामु पिस ॥२६ मोतिलाषी मनुष्य नई नई संसारघ की बी । अनधर्मी नीनितिर दई) जीवन लोक मांदिया को ईनधी जिम हस्ती नई री||२६|| मारका निकंरिक स्म विमागवस्त्र संसार तीरस्सवियस्मधाम्मान ताडिनरम खिलाए। दातांस्तर निमणि ॥ १७ एसंग संसर्यस्त्रीसंबंधी या प्रती। कमी साकतासंग खान जोगि वा । सुखिदं खोमीस की इं । जिमम | दिचिनं बाल माणा दसरा || १ || सांग समानतामसा ) अहमदा सागरख ! मनसंबंधी अंडरक को मदन हा समुद्र सागरकतर शनदन गंगासमोननदी सुखि सघला लोक मोहि सादव मांहिडे कतरीसक चरित्रानाद दिगो समय का माणु गियान देखरका सहस्त्रालागस्तसादवाना अंकाइये अतीव रकतकर नई वीतरागाम जिम कियाग कफलरमकरी वर्णशंकरी मादी मई। लोगवीता मधुर तिहनी परिन्छ । मारा सियेच किंचितस्प्रेतगंथीय गायन दाद किया गयला माणासावानाय तुद्यमाणा स
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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