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वेदमीय श्रायु नाम गोत्र रच्यारिकय करीयबासी । संसार का परिचाति सर्व रकम कर देगवन ज्ञानसंपन्ना इंजीव सिनं करई) परिवार सहरकाश तंकाराना नागा संपन्नया यण संतिया नारा जीवज्ञानसंघर्ष सर्वसादत्तिगम कर जीवज्ञान संश च यति
खासखुस
संसारकोत्तर नदि नयम यमाकिम दोर परोई
संपन्न यायाम इलावा निगम अपयश नाम संपन्न जीवचाधरंत संसार कंता ररर विशास्त्र हा सुईसमुन्ना ।
कुंतीनआई।
तिमजीव मूत्रसंज्ञान छ। संसारको तार नई दिनप। जीवज्ञामविनय तप चारित्र योगियातलं । संज्ञान जीवस्व सम
पडियाविन विशाम्पतहा जीवा मात्रा संसारगदि यपरसमय विचारप्रधानपुरुषमादिमांनी यर है लगवन जीवदन *सायेघर समय विद्यार संघाय गिलवाणादसा सं वातदनुबेदकर जीवन घाते श्राध जन्म मोदिज्ञांना |
कार
बन जाए नदर्शिनियोग) गवन चरित्र से प्राप्तजीव चारित्रप्राप्तमजीव शैले सीलाव कर। पुरवल कर पाठ्
नाव विहर य
सिनेकर
माविहरशी वस्त्रिसंपन्न या गलतिया चरित्रसंपन्न यागोरसाल सीलाचं गायन) [मलसि पडिवान्त्रया तिकारबी सीजन सर्व ककन करी मुक्तिआई ६१ हेलगवन जीवश्रोत प्रियनिग्रह मगर चत्राशिकच लिकामासंवादर्शतपचा मित्रासहरका सामंतंकारशा दशा रमाई दिय निग
श्या४ कर्मशकयघात
स्मशनाविर्यत चरित्र संघाशसंगम मुत्रस्म
संपन्न सिकरहूं। जीवदर्शनसं
रनं कारणमिया
] यन्त्रयायया। दंसणा संपन्नयागांव मित्रा
लावा ज्ञानपंनकरणं । परमज्ञान । मुन्नरी
विशायरा, गाायमाणा शरीरावर गौणादिसमास मेला खे
सेलेश साव पडिव दिग