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________________ श्रमदर्शनसमऋचचारित्र विकल्पनीय हुई। श्रथवासंयुक्त समविचारित्र समकितितां जनन। ज्ञानयाम चरित्रनामई) चा समकाल लिए बिमा हिपहिलं समकिन पश्चारित्र २२ • सादरहित विषईकरशा दमगाव लय है। सम्मनचरिता गर्वच सम्मन्त्रणा नागदंसगिस्नानादिज्ञानादाश्चर त्रिगुणहीन कर्मर दिन। म कामे हता जीवनई मुनि। काम कर लिनोपादधर्मटालीबी आधमनी वाघात कर रायफल नि गुएगा। गुणिस्तन चिमारखा। नचिद्यामा रकस्सा निद्या[i] | 20 निसं कियनिक किया निविद 7 छत्पत्त्रिकर सदनाध्य२प्रतिशेध मंत्र प्रदेशादेई धर्म व धारप कोएक जिनधर्म स्वचारितघम श्रावबो हका शलोकानविरकर। ६। सादमीमीन करी] धर्मत, मामाइक चारित्र दीनदो पानामा व्रततेषु निश्चय २ रुजु परिहारवि सुनिल वर्षाकालि दिकत करिश लम माकिन या वचाई द्विरीकरणाला सामाय पदम खादाच हा नादानी यो परिहार विसुद्दीयां मुमुक्तमेयराग चारित्रकर्मी विदार जिएमचा रायंचयरित्रकथं चारित्रादा आदिवा वाजिननश्र यत्रकार इमबार बार कार । ३४ जागाई करी जीवादि करवायप वाय शिदादाला बाहिरताराता बाहिता मसिंराताना घाना) वाचा कसाच जोगाई | सम किस द्द हरणाई चारित्र कर्मनिग्रह कर्मटाल। तमश्क रासाई संयमतकरी सर्वकर्मक्ष्य सर्वरक्षण ईसावा दे सायद्दादावत्रिगन गिष्टाशतावण परि सुनईच्या या प्रववित्राचकम्माई। मंडराम गावयास 321173-2 पांच कषायचारित्रदान अथवा डिन एय कसायमहरकीय मस्स धिकारिक बाह्य बीजवत्रानंतर कारि बाह्यपा यधादानचा मोदिरिषिक मि मुक्ति जो बछ मुखमग्गनामयणं समनं ॥ २३८ ॥ बः स देवाकषायुक्त संलग चडरकही हा पक्कम निमादमिमा शिवम ३६ प्रतिमुमाईनाम। पूष्णं सुयामच्या वसतरंगा लग मतदराचा एयमा कतिकही ॥ पणुंठपाचमुक घायचारित्रा RE
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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