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________________ Banan नारिवा मर्मप्रकारि संदेहबे दिन विजयघोष बाह्मण इं । तेजयघोष महामुनिबांधवांगी कदनं ६ ॥ ४॥ तेविजयघोषाणज्य मध्य एवं संसग बिना विक्रयाद्यमिय मा दाशा समुदाय तथा जयघो संमहामु३ि६ प्रतियो ३५ घामीश्वरप्रतिवखदा जोही सिनेकहई । ते वाह्मणपूजेहद सामु तयागनागाजी पागहार। तलेोवेदनाओ तो यो प्रति उपाद, सिर्ज तिकशास्त्र ताजा । सामुदाऊकडली माहानंदा सूयासुद्दाम नवेद मियं । २पो अशइयान्नाग|| वावयविक्रविक रंग बोयर नेशन करवाई विषई समर्थ । तदकारण हे निकुत्रम निकाले [[जायसंग विकाश बाझम्मा एयरग३८॥ समपिच। परंत्र प्याणामदयात मगाइंकार हाकाय हविषिशीघ्रदीका लि। इलय रूपवर्त्तिसंसारसमुद्र विनिरक मंसूदिया मानमिति सिलयाचात्रा घो वान श्रवग्रहकरु प्रसाद करु वर बोलमा हरनिकाइन डाक्यो गीऊंड कार्मिइनली या इं| इनइंसंसारीक श्रमजीवो संसारमा दिवम वालावालालाई। लोगोलम इस सारी घ्याला गाविस || नरक निरकुनमा पार्नकं मझेलिएकणं"। मादियामचम ॥ लोग लोगवतांझीन कर्मबंधन। संसारमा सारका ॥४१ सूकननी लाबमा टीम गोला भाया। बिडिगोला सीत वांगा। नीति॥४२ बुद्दीपु | ४ शखाना खाक्कायादा हटा। गालिया महिया मया । दावियावडिया कहा जाउल्लासांखल गई।४२॥ नीपरि लोगनविष लाग। नई सम् कामनविषामक रावल गं तिरमाह । जनराका "विक्रमे कालोनी परि। संसारभविषईन लाग ४३ एणीयुक्ति विजयाघामाहा लिसा दिश्त्रालयति ऊदा खाद्य माधवंसादिजयाघामा]
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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