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________________ व्यापार निवर्तनविषयंक २६ मुनि साधुययावयवचनमाना सम्यकमाचरंप्रकारणं नसीमसारक। मुक्ति पाम । तेयंडितडाऊडलिव Dance सुतान्न सुसामा २६ या वयसा माया समझाया मुगी। इस खियंस इसे सारा विष्णुमुचइडिएशन मि शरा [29] इतिश्रवयामायाध्ययनं चजेासइमे में पूर्णः || २४ (६) ब्राह्मज्ञान लिनु महतयशसहित) संयम रूपी इंगर ६॥ तत्र्वणामायाध्ययनंसम्म २४ ॥ ॥ माहाकुलमं राजा च्या सिवाष्णाम हा यामा] जाया ईसम्म जयघोष सिनां मित्रांसाग ॥ तेजिमेडियइंद्रियांग्रांम समूह जीयनुसानुमार्ग्रिचालन महामुनिमा मानुगमिचालय विहार करख वारणरसीनग जनम | जयाघाास त्रिनाम शाई दियगामनिग्गा ही। मग गामी महामु गामायुगा मेरी यता। यात्रा वा शा विजय घोष ऋषीश्वर वाणरसीबाहिरिमनेोरमइंसि नामश्वद्यानवनिप्र संघारयति वासु रहि ॥३ गाद्यसंघार तवा ससुवागरा नंतर पगारसा Se रसिंपल शवागारसीब दिया। उद्याम्मिम तेणिका लिविजयघोष मिनामि। बांला तइनगरा राम वेदर जो यागकर हातकाल ॥ एतच्चमाहरणादिड्याघा सविता मग अन्नं दयावयवहा मामक्षमता पाराई विजय घोष हूं यागितिहांसिकान अर्धविनिकारि दिन तेया नीति हां साधुना विनर दिग्देषी ते यती रागारमा सररमणपाशा विडया घास स्म अन्नंमि निरक शायद सिसुवहियंत हिंसंत। जायागायडि दर्श निषेध । दत्ति कुदे मुनिजन तिहानही दिवं श्रमागांना वेदना जाग जाह्मण ने याग तराई अधिवासान जितेजाय) छन्। सहरान ऊदादा मिति निरकं निरह जाया दिन्न ॥६॥ जय वयविक्रविप्पा जन डाय जिथं दिया। जासंगदि VEV
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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