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________________ उन्नरा या जिन लगत वर्धमान इसिनामि। सघलालोक मांहिविष्यात तेश्रीवर्द्धमान स्वामी शिष्य् महांतयानुधली सगवंत वकालधम्मतिञ्चयार डिएगा। नगद ६माणुत्रि सचालागंम्मि विस्तस्मालागाई वस्त्र। श्रासि सीरम महा श्रीगोत्रमविद्यात्तणा पारंगांमी लोक नदी यांस मानवतेगोत्रम दादशांगीत एवं ज्ञाततत्र ममदार नशिष्यते ममालेम याम। लयव गाथामनामा विद्याचरगायारो॥ ६|दारसंग दिऊबाघा सीससंघ समाअला गा मा गुगा मेरी याता सविस हितग्रामिनयिविदारक तेश्रावन्तीनगरीत गाईपर सरिकोष्टकना मिचन बनाउद्यानद निप्राश्वकमिय्या संघारश्वसत्ति केसीमानाश्रमाण रतश्रावस्ती नगराई पाश्रयामिब कमी कुमारस गमन के सी गणधर ब्रह्मी गासुसमादिया॥उलसीस संघाला सं साधनश (श्चिमाग || काहगंना मजेद्यागतम्मी नगरमंडअल गोलममहायशासनाश्रमाण साधते ली शाद स्त्री नगरी डंविदिरिया बिनइक्याव मरणा। [गायामय्या महायासा जलन वित्तञ्च विहरसा ते बिऊंना शिष्पचनसंघ गुणवंत जी दर का परसंयता तपस्वीत नई चिंताऊपनी १० एश्रष्टारुधर्मीक दुबई। श्रनतसारो धर्म कि सिग्न 20 ऊयात स्त्रिण] तच चिंतास मुन्ना गुणवंता ताई 치 हारताचारधर्म मार्गकिमि बई २१ जे पार्श्वना घरं महामुनिधर्मकादि । तेच्यारिमहाव्रतस्य नश्री दई मानधर्म । करिरमा वा शमा धम्म।। इमो धम्मोद के शिक्षा फासुए सिहासंघातप्रवासाग श्रायामिल्याबश मनो कायगो पव्यावस ॥ श्रायारक्षमपणही | मावा साधाका सिसी || ११|| चार्ज द्या माय धम्म। [जाइमा पंचसि रिक। [द सिर्जनमा नयदिमिन तेषांचमदाव्रतम्॥१२ श्रीमानवरहित पार्श्वनाघनानधर्मते विशेष बमूल्ययं चतुमुलांबा वास्तू महिने एक | पास गाय महाख॥ २शान्चलागा याजा श्रमो जाशमासंतरुतारा भावना वाम सकि
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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