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दिनकर्म कियीविषसमनिश्चल
शाश्वतमुक्ति स्थानकांमई २ प्रकारांत गाएं श्रनाधीश्वरमहानियंधन आनंद कारी ऊं महा
तमोर शास्त्रमोट कि
रामाव मे रख दियाणकम् । वादिवत्र मंडुवा दात वि मदाता वाहाणा महामुली महायज्ञान महायामाम
सारिकहिन ते नाव ऋषीश्वर कर्मजी पवान
यां
तेराजाश्रमिकदधिः
इसिनं बोलिये। हषी श्वानावय
निधनले ऋषी, पूरन। श्रतियहनत्र विश्वास हितमहामुनिब
लास रूमालाधा हो सनात
हानिय विद्यामि महासुर्यास कादरामया विचारा वाडा यांस गिराया। इस दाॐ कथंजली गा साचाजहरु मुंमुक प्रतिदापि राजा कि कद शहरषिताखमनु कालय समय भियगाव झेलम जिस्मम । त्वा लाख वद्दार्य नाममाह सीख झेमा हायस बांधवसहित तोवीतराग देवनई मार्गिर हिया ॥ हेकसि देशनाघजीवन हालगाग्यवंत) ताक हिश्रायण
बेधवाया जातविया माय डिपु
माधव ॥५६॥ वल्ली राजप्रेणिककद देकषि प्रश्नकरीडे
हा हा सर्वथा ॥ पया। स्वारममित्त
विकी विषइनमे
महाला गा]] [[चा मित्र सासि ॥ यदा पुत्रिकामा शिशा दिग्घा जाजांकडे निमंतिया याला गदितंस
लंड मिज्योकमा करि राजामा हिसी दप्रायश्रेणिकनगरमा हिमी हाय नाघी ऋषीश्वरनई परम कृति इसवी सादरोध इंमरिम हिमापात्रा एस राय भी रहा। अणगारसी है पर मायली या सवारा हांस रियणांसंबंधाना धम्मा तेरस दिन निर्मलधर्मन दियइंचित तिराजानां अम सिया राम बई। तेराजामा तिपदादेश्न मन्त्रकिकरीवादीनां राजा पाबन
धर पाउन बलि
गुर शोवि मालाचियसाथ या । अस सियाराम वा । काऊ गाय पयाहियां । प्रतिवेदिक सिरसा श्रइयाउन