SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1950. हलनीव्रती रुप पर मस्वा सभावते हथीन वे बेजे हनो जो० प० प्रसासना करी निविकाररूप लक्षणचि जेहनु सोते सप्र सात ना० जाल वो १८ प्रतरस नोहरएकही ६३५ को को करुसाधु जी देबी ने वीजा शुरु ते माया नाका रविना सद्भाव थी "" ॥ गाहाहिं भुले संभवोजो पसंत नावे | अवि कालरलखली | सोस्सी पसंती ति नाथ ची १८ ॥ पसतोर सी जहा पादिविकाररहत उपमानको धाहिक दोष ना माजी ही०प्रतिप्रमाभावदेषानवाने विषे देषवृति विभूषीत 90 ह नाथप्रसाल सोम करीतेमुषने विधे माकसो मेळे हरु कमल के ह ह ळे ते सावनी बिकाउन संत सोम हिहिये ही जहमुलिली सोहरमु उपसमकाली एन वनवका व्यूरस की सोनी विधी ०ताते ह करसनिय जगा विषश्रति प्रसार स श्री नयनात लेालिकादि कलाकर पल को ग्रहिगाथादिक कमलपीसीटी १० एयनवककरसा बनी सा दोस दिहिस मुष्णन्ना कँट्ने विषे मुबजा लया हो कोई काव्यसंयोगधीरितनी ते अथ को लेना हसप्रकारे वरु बेसुध एकज रहस को श्का अने विषवे एनवप्रकारनाम मो नं ० ते यच्चादवत्ति सुधावीसावा आहिरसना से र्त नाव नाकिंत देबाळे | गो० गुरु निष्पन्न अतुल निष्पन दिपक नाम नामेजिते प्रधान वस्तु नामे संजोगना धँसास्व नाम न परति कहिव २४ मनायजे मा का ल नासि नानाम ते तँ गोल नौमुले। श्रायापएलपडिस्कप पाहनत्र लाइ यसिधे।। नामे ए नादिसिध नामाकनामेा योगेनाम कहि नामथापनादि के ४ प्रकारेप्रणाम नाम दमलो की म कोक अवयवने संजोग नामक नायते ल अथ कोलते गुल निष्पन्न अमेतेनली संवतये तेजी अवयवे एसजोगे। हवा हव्यसे पमाले || से किं तंगोले (खमयखमली। तव इतितव तपत्तयत्तय सीकहि जलवले प्रवाले वातेन पवन निष्पन कहि जेहने कुत्तालो छात्रनेत्र तेसली जलप्रग्निनुनाम वायरोथ को एते तेजनी गुण निष्पन्न त बोली पा सविहेपन नाम लो | जल इति जलली || पवइतिपवणे बसे किं तनोतुले तो । सकुंती मु
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy