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पु० प्रथवीप सुरवीर सर्ववस्तुनो संग्रह करना ती रही
म॰मध्यमस्व-मिश्रीसनर एहवोक्रुर | ११ ११ | पंचश्वर नोधूली हो
इपियुइदेश्म शम्सर मसाज (११ / पंचम सरमेता | हवन प्रमते कलत्रमनु बनी (रेवीचे १२
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मी मात्र तो वह नारमा प्रति ते सनीवारी कुनी वागुरी एवती ए इति ।
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प्रेमनर नाया (१२ (श्वेय सरमं ता दुवति सजावा लोकलायक विति पago वीर ५ नमनुष्य जेवाचारलेवा का सीट | बही २ | चोराचलामुधिया १३ (निमाय सरमंता । वंति हिमजान राजे घाव राले हाहा दिड गा नारवाहका वह | १४ | सात स्वरमा उत्री सूत्रल (मुळता वरु० ण्डश्वरसहंत जे मुखतानो स भारवाहका १४ एयसि सत्त एहसराए 1 तामा पं० नं० 1 सगा मेमनमेगा मे
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सहत मुळानाने समु गे गेधानरागस हतते मुनासमु धारयाम करे तेमामुलाना कहिए चरुवीने० हतेमध्व मेश्राम २ ग्रामनी सात मुरबाना राग करताना नाम तेषाम०मार्ग कोरवी रहरि ता ३३ ला धार ॥ सङ्क्रगाम स्सएँ ॥ सतभुळण्ड पं० सं० । मग्राकोरवाया हरिया स्थला साधकता ॥ / बळ ही सारसी ना हम सुधा [14 | मध्य मया मनी यसाश्कताय । बडवमसी नाम् । सुधराजाय सत्तमा [१५] शिमगा मस्सल स मुना[रूप] | त० तेहेबाळे | उत्तरमेश | रत्ना २ / उत्तरा इ | उत्तरसामा / सोमकता [सो विरा तबलाउ] पलत्ताउ] त०] उत्तरदाय यतीउत्तरउ तरासम्मा समभोकत्ता यसोदा