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________________ सेसं०ते प्रकार इनाम \९०० |सेनानुज्ञान | उ | ऊपस |सात्रोपसम साथको लते सात प्रकारे नाम ससा तत्व र प रुप्पा ने बे सभ्य बोले नियमो ते स्व२१ 1. जीवे । एस सेना मेजान पारि लामिय निष्पन्ने सेतसन्निवाइ सेतंख नामे से किंत्तं सतनाम सतसराप बृषजनी घरे बोले ते ब्रस्वश्र सुदं धसुरते गंधारस्वर २ 1 स्वरूप ६ चो० निश्लेनि०नि बीटी स्थापी ए स्वर जेटन इविषे मध्यका माथी कुयोतेन नी वोल तीचेच स्वर ध्यम स्वर४० पञ्चमो नाभिस्थानमा हिवसे चे बुडेगादिस्वर नतिधरे साथ सेवे ममिचमेरे ॥ घेवर वैवा लता तं सारे सरसत्तविया सरिसनेगंधारे ॥ निबाध स्व स०स्वर स० [सात प्रकार का स्वर ए सात स्वरमा सान स्वरस्थान के का तिर्थकर त० ते देवा है है हियाए | एसीएसत एहसरा सतसरा प० ते० ॥ मद्यच प्रग्रति हाए रे एरिसस रं सड स्वर जीन 303 रथकरीरिष | उपज वो लिए 2 19 कंड थी पजवा गंधारस्व नाना मध नाम स्वरथनाना पाच मौस्व बोलायरा दोहोरी थकीमधम सिकार ५ चेत्तस्व ६ ननु ना थकी क्षेपथीनि घा धश्वर स० एसी केडग्रएएँ धार मध्य निहाए मभिमनासाथश्चमं त्यादेतो हेलथ देवयं प्रभु हरवे वेल स्वरस्वा महिया ती थकने सात स्वर ना सात स्वानकहियातित सात स्वरजीवी नावनिश्री बेड घला व्यापारवाथ की जालवा की एके के स्वरे साथ जीवधीनी कल्पाने पप्पा तेरेागस्वर है०राज र०वाल साउ सरह' ला वियाहिया | ३धं उद तेति हार्दिकच्चा स्वान के सतसराजीव लिमया 0 0 रव रोलमा ॐको निव || इम कुरी कुकुडोनिस दम त्यती होते को० की संत का लने विन इ बोले मध्यम स्व नाश्वोका | दुकधार स स्वर प्रमुख मोर महिपाली ० कुसुमना सेवे ॐ सुमन वे सात स्वस्त्र जीवना निश्च जीवथीनी मंधार ॥ मंदिल या ४॥ स्वर छडेस्वर सा०सारस ने कोलवले वोल बेवत क्रि० निषाभूस्वर सात मोगज हस्ती कोइला पंचमरं ॥ उहुँच सारसा चालि सायंसनम २॥ तेरो मो किला कल काल ध
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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