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३० ज्ञानाथ नाव लिना सर्वथा एथ की यारीसा जीवनाथ की जीव नानी परे पान दधिरप्रनथीर केवल एजि बानु ज्ञेय को सहना
से०ते सं ००क्षाधिकभा व सेाथ कि०को ०तेमाकर्मनाकीले फल नपने से
चयनिष्पन्न
श्रनुयो डील खएल] सेतन से किं ( वय निष्पन्ने 3 व्यननाल देसलाधरे || रहा जिल ०३६ के सीमा निल
दोषी
के चली | वानिलिवो हियना ला कर ले। एवं नीवरे नाव महत आरजे क्षयगकानरते चंद्र मानी परे नी कल्यु हनु भुते पुनरपी प्रार
सर्वज्ञानावर हनुले एम सी एकत्र वधज्ञाना ती मनवर्ज ती केवल ज्ञामा वजिह श्री लसुन ज्ञानावल बल व ज्ञानावल नाविल मा केवल नावरले याहू ना० ज्ञानावरली कर्मधी विप्रमुक्तरस्पन्न वोली नथी हत एसर्वज्ञाना व कर्मक्षयनी जालवादना
साहसी
थला हो
वावरले ।। निश्वरले । खीलाचरणे (नालावर किन्न विके (केवल हैसी वरली संघनीषनी एकेवलहरसना व रस एकनी देते देते सर्वदरी ती निधा१ साल निद्वानिद्रा० ची प्रचला वोल कही ब के वलदरसी श्री लहरसनाथ २-सी एप्रचलाप्रचला श्री लथि लदी पयत्तपनि है रही थी वी लनी देखील निहाने निहा १६ कि हाल कम इसकि लिहकमा चक्षुदरसनावरती एकरी दे खीलपय लेख एल चा लापला हनि दापरपथला होला डिउम है मेरा दिल विति वा वा साह तथा पारी बेते तीच- कदरसना वरली यले वियसपल रखी थी एल जिद्दी बीलच खुट्टेस लाख लि एर्यन्प्रचखुहिकेवल कही २०० क्षी प्रधा ३केवल हरस नावर जे हुनाले विमुक्त वेदना कर्मनाक्ष चन्द्रानिचरेनिशव एहिना बीमार बजे हनु २० दरस एवरी कम थी यथ की जे बोल निपजे ते कद व्यावरऐ ।) निरावरणे खीलावरले हरिसणावर लिहा कम्म स्म चिलमुके रवील सीए की घाट साता सील की घी के सासादनी चेदवारह श्रीवेदना निर्माण प्रकर्म थी विप्रमुकर हत
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वेदना
सायविषलिओ खीला सा सायवियती अविय लेखी लवेद्य ले |
निवेशुमा ३९