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________________ रिक्षामायुमा ज्योतिधी [ विशेषते | विसेसि वालवंत रोवि सेसिव | पिसाजावगं धवट विसे सिउ | जोरसि । विसेसिड चंद्र स्वर्य ग्रह नक्तत्रयं ता | कल्यानित्तल येवेयक प०अनुत्त चंदर गहन खत्तत्ताराज रवि मानविसेन कल्पाना वासीदेवतावि ते सेवते विसेबन विमानीक विसे गतकल्प विमान 1 देवता विसेसि मालिन विसेसिन | कप्पोवश्यकपाय सोधविला जावत - प्रविसेषते । कल्पा तित्तनादेव ता विशेष से | सोहम्मोजावयविसेसि कृष्णा ६३ विसि अनुत्तरवि मानना वा श्रवि श्रवेधकनादेव तावि हिडि लात्रिकनों हैलो ग्रे वेध सेबसे क्लोक ना ते कर यकलीला तेनुतूर वि विमान नो बॉसी विशेषते त्रविसेसेज | कृष्णी व विसिसि | प्रवेश कनवासी सि जि विद्या उत्तरी विसेसिन विविसि सि हिहिम दिहि भगो विद्य देहिलात्रिक नोड पल्पो वे हे हिला त्रिकने पल्पो वे थक हम हवा हिहिममशिम विद्यासुं। हिमहिमा वरिमगे विद्या । एवंन्ने अनेय विजविमान 'वैजयंतचिमा जयंतविराजित विमान सुवारथ चवाश्ञ विसेसिज विजय | विजयंत| जयंत व्यरा जियसबाट सि अविसे सियं श्रजाव जावत काल अविसेष बुक लास्तिकाय विशेषते | परमाणु दववि से सियं | धम्मचिकायजावत्रधासमय विसेसेए | पोयलथी काय विसेसिए पर त्रविसेसित रो अविसेष ते प्रजीवद्रव्य मान सी है विशेष धर्मास्तिकाए 1 य पुऊल र स्वनितकुमार सेलने वालवं तर विशेषते पिसाच जावन गंधर्वका विसंबते वि सी
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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