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________________ उत्कृष्टो गमनवा संध्या काल ना० घाइमं श्रासरी नथीच्या तसे | एमाानुरवी व्य ० नेम व्य हार नयनेमते श्रनुयो मोमे प्रसंखेडा का ले। नाला। दबाई हुज्नतिर एवं दोनिवि ४०२३ प्रानुर्विव्य से द्रव्य के [ कि० [ से ध्यानमा राखेको क्षेत्रा नवी से नि० निरयन बही शाळा से ष्यात मे भागे तरज० जिम शनिरखा। संदा करना ॥ किखेाभागे । एवं लि हेडिस वाटिकनु कहि क्षेत्र श्री प्रवक्तव्य द्रव्यपण जागे एमजू सेवनन्य नेत्र संख्या त मे निम है ग है तना नानुर्विद्रवीद्रवा परिने संपातमेना ग तिमज जागरु वयच आहे व हात देव नयाँ प्राबीबा | यह वालिव | जहेवहेवा हव्यमनानुत्यादिकनी चहारनयन इमान | नाचे । होइ पूर्वी द्रव्य कोण निश्वयादि पारिणामियपरि सरापाळे पण स्तू परजालले नेगम महाप्राण विवाकय मिनादे हो । नियमा साश्वारि मिल्नावेही नाविक नित्य एम नानु सवश्वक्तं वनगमनवहार अनुरवी हम नाव द्रव २ एहवानथी पत्रादिपरिणाम ज नयन तर् द्या ॥ एवैहोनिविएएसिनं गमववाणं प्राणुविस्वाएं अन्नामुयुची हवाएँ प्रवक्तव्यङ्गव्य३ए३माहिइ व्यार्थेऽहमने प्रदेसाथ भरे सजु | द्रमार्थ । प्रदेसार्थ मा हिमालि कोल को एथ की परसडाएट्वा इएसडया एक यश को हिंती विशेषाधिकक्काश्कत्र्त्रधी | हो गोम सर्व थीयो लावल वारे चाणं यदबंडयाए । म थो घा परिक्षा अप्पावा | बक्रयावाला वा || विससाहियावा । गोयमा । सबच्चोवाले गनववहा नयन म ते २३
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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