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________________ पञ्चबाल | त्रिज्ञाप्रथम अधम | सामाग्रक १ तेनायास्प्रनुमा कहिनावाने थे जे द्वार से अनुयो जिम मारहारनो नगर सुषाधीगमन तमसा मान्य करुप नगरनाच्या मार होइ कानुयो यो पञ्चरका 2090 पण कहि हते अनुगमन स्व मात्राहि काम, ल सामा (तस्मा इमे चतारि लुगा हारा लिन वृत्ति नं०देषा बरी वाली इनिक्षेप योग (थापनादिक ने हैकर था तुजे तक हे वर करीमी की कम करीयरा बढ्तेनिशेवरमुत्रार्थअनुरूपार्थ एक स्वरूपका से करी ज्ञान ने तंजा उबकम्मे निरके दे श्रृणु मे नयसे कि उ कम्मे २ विषे पोहचान यहाँ नामउपक्रम या पक्क्रमते नाम था पनामा नेहाचक्रमेावेत्ति हा लगि को को चकारे नाउपक्रम कनीना लगे क्षेत्र नो जेउपक्रम नुकहिता विहे चलते तेज हो । नामोचकमे ॥ 'लोचकम्मे दो व क मे खितो परिकमेने विनासको निरुपम रुपले कालो उद्योग तनावोपक्रम पास कहतिम पकर्म समा लियवहार कालो पक्रन पार्थजाल तामउपक्रम थापना उपक्रमनी कोणते द्रव्य उपक बा धको कालोव कम्पे उपक्रम आवक जावया ॥ सेतिदोन क देवा मतेको बैप्रकार कुपीतं ते श्रागमजा एवा नो प्रागम की मारुपद्रव्य चन जाए यसरी रन वियसरी स्यति थकी उपक्रम वेवी रक्तद्रव्यचक्र ते कोण द्रव्य उपके मे२॥ विपन्न तंत्र प्रमाण सरीर ॥ न वियसर मना जनकमान रक Badge ते उपक्रम से किर्त सचिते चोक एकेका विवि का वस्तिवस्तुनामुल विसे नुक ना एक्के क्के रवि रितेश्वोकम्मे तिविपन्न ।। सूचित चिते मी सेय तिवसत्चितद्रभउपक्रम हिळे बेयगनो चोषमनी अपमानो त्रिप्रकार ते उपक्रम उपक्रम वक्रम ३ मे२ ॥ त्तिविदॆपन्नते र्त०] रुपए | चणए । परिकम्मे वस्तुनुवायुव सेकरी विना १०)
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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