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________________ सर्वक्षेत्र ने विमवलि पाहिलाय विधत्तरनेगम इन २०८२ यो वेबससि । विसुद्द रातरा एवेनविषे वसळे दसलचरत उतराईनरत तत्रने विश्वलिप्रथ सारी प्रत्युतयइन० कवोल्योर क्षेत्र प्रकार रूप्या ते हे बा खे मोनल || नरहेवासेऽविले । चतिं हा हिलना । उत्तरह वलिया बलाथी विश्व दूत्तर ने अमम तनी दक्षणभरतने विबेवसुव क्षण भरत अनुसार देब विसुधत रोगोन। दाहि देव सामि | टहिल | नेविले (काने कग्राम सोनारूपा नगर मो ताजा पनि वे सवल ते सर्व नविले व से बलिया बला थी- प्रति विस यए | एसुदसुनवेवस नागर पंतर ਸਭ ਦੇ नरहा गामा अनुसा पा०पाडली सुरनगरने स्तर ही ए विबेवस ६ ॥ पाउलिपुरिक्सोल । पाडि लियुरिच्छा | गेहामारसघाइते सुसचे सुनश्वस विश्वतानुसारी देवदतेने घरव देवहत ने घरे अनेक को गगार ते सर्व सर | विसुधतराठभ॥ देवदत्त घरेवशामि देवदूत सघरे ऐ गाइ को मारा | तेसु नेविषवस | वली विसुध तरनेश ममतनानुसारी प्रत्यु 107 घरजमकामा हि एम् विसुध्ने गमन घनमस्वस तो जब एतले जिहा सच्चे सुनर्ववस ॥ सुधत राज जमो भए |घरे वसामि | एवं विसुधस्सोग्रमस्स वृत्ति हावमववहार सं० संग्रह नयनम ते घलाने संथाराने विष तो तो वसे इमो लाइ नयनमते पाना विषेशही ते कुतो एतले सुता विना निवास नोन्मथ ने वो लाडू 3030 जुसुत्रनयनम से जेतला या कामप्रदेस नैविषे वसमावस एवमेवववासवि संग्रहस्सा संगारसमारुनोवस 5 | अजुसुयस ब तर ही अ०जल वस्तुब (जावसन्निवेसाहिं | तेसबेमुर्वसति । विसुधत लेमोन प्र क वो ल्पो पाडली हरने नेकग्रह नगरना तेसर्वन इदि वस विन
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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