SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पम । कि०किस्य प्रजोजननथी काजोजन केवल पुलः से०तेए/ वमहा। उधार उमसरोवमेडिंपियनपिकंपश्यलंकेवलपलवलाधासतवावहारिय उद्यान अन्यथा किकील मुक्ष्मउधान समझामना पल्पनाचने जावतमालालायमन " पलहो। माकरी ग्रेव्यावी पलिस्वने सेकित्तऊउहारपलिउवमे मतहाना: एपलेसिया जावसरियवालयकोरी कविहा केकवालयमा अध्याता । पंकज तिवालाग्रर्षकवस्तुअनेसुस्पष्टीपावेतेह। व्यासमाजाजतेकरतेवालाधना लतवएगोवालयेमसंरवेशाज्ञखडाश्कीरवालग्राहिहाउगाहणान्ममवेध मजावा सुक्ष्मपनकनाजीवजेवलोक्षेत्राअवगाहेत्तेपालगणोबेत्राच्याह वाजायफनो तवालाअनन्ति बलेन्हा जागमिते सनस्सपएगरससपोगादासरखेचणाततेवालया नोमग्निड जावतसमकदता से०तेत सुधानपल्योचम चयसमधानपलनीसकफाकीहीकर निवरवालोहोर घा जावनिहलवर सितसुझमेमेउधारपलिउवमे।। एपीण पलाए कोडाकोडाहवेध तेसुत्मउनए । सागरोघम (एकली मे होयरिमाण 1 werमुमधान पन्यो समुणिया तसकमाउधारमाजोमसनवेपरिमाणावा एयहि मुहर सागरी पमत्र Pी०सीपममुहमी उधारकरके०केतलनिहताहीपसमुद्रम माण पलिवनहि सागरेवहिं समुदाएंउधारोप केवश्याजानेतेशवसमुहाएं हथा मम Banic
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy