SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वान अविया तपासालाहा | जाले सानोमुलस्स नारकीमाहेजा केतलीसनीयवाह ०पहचीजोहगोम प्रकारपकप्यासेजजवधारणीकस लेहेबाहेक सनीसव दिनेश्यालले केनहा लिया सरोगाहापं०) गीविहां येत नवधारणिधए गाहनात उतरवेक्रीय सति जानेमानेजव जबलसागुलनी अध्यात मे जाग उतक्रटो सरनीमचगाहमा धारली उत्तरवउवियाद ताजासानवधारणियाजहलेणेगुलस्सअसवेद्याभागाउनोसे सातधनुष त्रिल | हावी अंगलाश् । बिहा | जाजे | सान उतरवेक्रिय जघन्न। सतधणरतिनिारयपिउब्धमुलातबाजासाउत्तरवियाासमहालेलगुलस्स श्रागुलनेस व्याला उत्तम परधनुष रो०बे रहा थावार आएन । एमसर्व मवेाजागाउकोसणंपन्नरसका२निरयणीउबारसगला सवा। कनेविवेकानवधाम उत्तरवका सतिहा। जाजे सावधारलीजधनोमुलनो अविहाविधारणीयउतरविपातळ सांजीवधारणाप्राजहलेणगुलस संख्यातना विमोविएगी। उत्तरक्रियाजघनअंगुलनेसेपासनेना मसंवेद्यना उसेणगुणोरगुणो उत्तरविया जहगुलम्स तक्रष्टाधेमपाउचमला मेअनुमानप्रेमु । मानवअनुत्तरविमानवामी-चावर खधम्नागें उक्कीएं गणोराणएवमसुक्तमानणं जाकमणुतविमालवासी
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy