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________________ ४८ स्वरूपना लौ बैते महानिशीथते / जंबुद्वाती संदलती दी०६ कालिक सागर १२ कालिक सूत्र कालिक६ खुनिकतेला विमानंकाते काजिक व विशेष बैतेहनातीन वर्ग पहला वर्गना ३9३१६ नंदि-सूत्र निसीयानिसिह इसी नाती याई ॥ जंबूदीपाती। दो चंदपती ला दीव१त्तीसा शान काल अधयने बेदी ईते समुदेशांना काल अवसरकाने बाजा नर्गन ३८ काल अध्ययन चैते सर्व देशाना नरक साबैते उपदेशना काल अध्ययन सनदेश कलावे रवी जावना वाला ४० देशांना गणित विज्ञान ना देवता प्राचीर व एहि विन गरबत्ती। १२/ खुशिया विमापविनिति महलिया विद्यापत्तित्ति ॥१३॥ अगली मा॥१४॥ वागवूलि विमान जाणवादिवै महिजिया विमाननोच्ाध कारक १ महिन का तेवमावि तेसर्वभज्या २१५ मास कालिकने विमानदेवनागुल क जानना पंक्ता उतरना वर्ग है ते पहिला वर्गना ४१ उद्देशाना कालाध्य खाते देवता कवर कपयोग तो सवता आहाथ नदी घोउदेशानाअवसरका १ नै बाजावर्गना ४२ उद्देशाना काला‍ जोमाने सलै २४ - अगनीलिका १५चा अगा यनविशेषक (बार बीजावर्गना ४३ देशकाल अध्ययन विशेषका ३ नोथा दिकनीवर्गना काते कालिक १६ विवाहपलतात गवतीस्त ना ४४ उदेशापायमाना ४प्न देशना काल अध्ययन विशेष कला पाचमानर्गनी निकाले कालिक 9 एचजेएकाग्रचिलती या ।१५। दिवाल्यूलिमा १६ ना४५ वदेवाना काल मध्य विशेष गोववा९१/वरुणो वबो वारंवार २३ दीय त्रिवार अनि देवनागरथाय जोतवाना देवरगावै ते गुरु लोब वाईया सारख कहिये २० दे० एचगुणताथका देवेंद्रना तागला२१यविपासना सेवाकरैवल धरलोक एस गुलता धरना देवता वैतेधरणेनवाई ग्वार देवतानुवैतैवे विदो देवालयको प्रसंसाकर १८ व सनकहियै २१ · गुलताने समादेवता रावैतेथा नवा कहिया २४ जे सूत्रगुताकावरण ना देवता रक्त प्रावैते मोवाईस कहिये २२ ने० एतच काबेलंधरदे सुचना ईराणी यामादा वरच नारा के हायै ए एस गुलाबा वतारत जातेथील बाईस कहिये २३ कक परैबार बेकाय २८ ।। गुरुलोव वा ॥ कां धरलोनवा ॥२०॥ वेममणोचवाए। २१ बेलघरो वनाए ॥ २२॥ देवि दोन वा चित्तविषम सिसे जिनारेते जो काल थाये२६ ना०तेजिलै सूत्र लियेनागकुमारदेवता मानकरै सिघनाद करैतिवारतेस माकुलथाय २५ समु० समुतते सोम दृष्टि मैतेः सशाय करेने श्रमलनियेध फेरी र गुलैति मानता करै २७ जितरावलिका नेत्र लै लै बरबे जिए तिवारेले लोक अनाकल वारैसंकल्पक जैते नागदेवताते समय नै समतास प्रवास्वनाइ एक का वासा फा ॥२३॥घालय ॥२४॥ समूहले सुय||२५|| नागपरियावली या ॥२६॥ निरीया बलिया | 29|||| ४८
SR No.650009
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorHansraj
PublisherNagor
Publication Year1931
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size68 MB
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