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मारवेद ४जुर्वेद १ ययुर्वेद उपा मवेदार्थव४ ए च्यारवेदन
वाक्त्तरी कला | २० चत्तारि सर्वोक्ति जे शास्त्रचेव निश्चय कलाशास्त्र सम्प गृहटिने सोनेलाल या गाथा लोक जे भारयोजनैते मि शालीना सम्पती द्यायते सम्पत सुचक वैते समाधान चामलमै स सम्यक्पणैवरिया शास्त्र सम्पक्तदृष्टिनेस सम्युक्त अनाम
देवना लेहनामा गलीतविध | 29 [स] जिनावर फकन | नानाटकना बोलते नाशास्त्र २८ नामशास्त्र
/ गख२६
माशाख २५
मशवर
भूस्पदेवयं । २५॥२६॥ गलिया 29 सवय २८ । नाउईमाई। रसते शास्त्र उपांगनानाशास्त्र एवं ते मिथ्यादृष्टिने मिळते एतलाशा गसहित बैते शिक्षा कल्पवर्णन क्तनारयादिकजात कादि स्त्रमिथ्यात्ताननवासिवणैपरी - नियुक्त १२ ज्योत काल तेर यही कराने राज्यातेसारक राजा कल र स०एतला बैक लाते नरुवा, लैबैमिब: मिय्या वीना संच बैतेएस मिथ्यादृष्टिनामा शास्त्रा मीना को सबै जोएकः नारथादिकशाखतेः बेईया सगोवगा ॥ ३२॥ एवमाई। मित्रदिन समरिग्रहिया मया वया चैव समदिद्विक्तासम यवामित्र : तेमिध्यात्वाने विचारथादिकख सांचलता जीवतांजो जन्जेनली मिथ्यादृष्टशतेहि मिथ्यादृष्टिते स स्वपना हष्टितेोत्तानाम वतानविरेंनिरोधजा लाने सम्पक्त सूत्रमेव पोटजालासम्युक्त तबै तिबबां मेते सषदेव रब २ स्कंध आवला शिष्यः क किस्सा माटे स्वामी सन्ते मिथ्यात्वानसम्मक कालो हिजो ताने शास्त्रक संन्यासीयानी परेवरवारसहित पिणसम्पक्त सन्मुषलैसम्पक्ती न देतेषामैतेयुरुवतरक है रानैवोपको कोईएक तपरिगारियाई समदिहिस समय हवा मिळे दिहित // कुम्हास मुत्त नियता जम्मा तिमिच्छदि लाल मे से० एमिथ्या सूत्रका सेवते कुल के नो सामादिसहित] बै०१तेतसहित अत्रादिरहित नै
हिजवे निश्वयसनारयादि
मात्र ३०
हिया । तस्चेिव समए हिंचोईया । समाला के ईसपरक दिहिन व मंति॥ तमित्र तु यं । सेकित ! साई स9 जब सियंत्र
अंतरास्तवतेऊण | एप का आर्यना बो० गिरीनं नयनार्थमाश्री साई आदि सहित संततेने वो वनकरियै तेनोविचार सकते: नारे अविर आश्रीतेविरह र थी: गाई। जब सियंवईवेयं वालसगगलिवडगा बोबिलीन यह आए साइयमपज वसिमा प्रवेोडिलना आदिपिणनथी अने अंतपिल नथी । ततरसते संदेयाते ना समासना विचारना के तला नकार देते कः व्याकार रुपा दण्डपथ की त्रयको २ याध्याए॥ आणा यंत्र वजन सिय॥ तम्समा सन्चविद्यता । तं जहा हैः तेजिमनै तिमक / खेत २