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________________ जोश्रन्यायकारी क्रमको शिक्षाच गोदोसाणीवेन ज्ञावान नावते. १४. सानु पिउ वीमातायायेकीन स्थामाऽपिया अन्यमात्तायार्यकी अंबामात्तान घटमिन्ट लिशिया दमाइाचा विनिवेस सिद्यन्नव। १भत्र जिजिवादप्रमो मानसित्रियाविस्मय उनहिपोजीले सिष्यामंत्रे अन्याइति गोमति प्रजामं पोलादयो दी नाचणे गोसादिका प्रिय १ दालद लियनिति साहसाम सिगोम मिहिोने गाल खलत्ति इन्नियेने स्पतिवागिनेयी तितिर इपिति चेनयेन नयेन युगामायनिनाम्ना यता नया श्रीगोलाकार त्यादिप्रतिगृणाल बतवालपे गादयो दोष सर्व १६ पाई गोई वीउती गवाणी (जदार हिम लिंगिशा चाल विज्ञलविज्ञ पुरुषमाश्रित्य विशेष भाषा भारु बप्पणितामिन्दचा मालोमा सिमिनीयोगीतमात्र चाचा शिवप्पो बुल्ल पिनतिया मान लालाय जित्तातरीन लियत्तिय १८ तोले त्यति लस्यामि गोमिन होलगोल इति रुषानिवाले पेनामधेयेननामरवेल व्या यावदादवित्तियमिति सहासा मित्र गोमिया दाल गोलवसुलभ पिसानवमालदे ॥ १२०॥ नामधिजंबू यवाह श्रति पर आ जापमेश्वर वाजपये २० लिगांएवागोपाप मानून जहा रिमतिगिशा शालचिद्य विनामा। २। प्रचिदीया गया था। एस सुरियाणा विद्याव एवंव का नजानी याच जावन‌मा पिपादोका जत्यन्नेजति मिश्र आतापयेन वयातर्वमं प्रलु बन जानादिष्णु अजादि पक्षका का दिसरीष्ट प्रयंडमे जाणेन विजालितातोब इति गालवे। शतदेवमपुत्रस्यापविदा विसरीसचे। श्लेयमे 194959
SR No.650008
Book TitleDasvaikalika Sutra
Original Sutra AuthorSwayambhava
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1622
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size36 MB
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