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________________ दृष्ट शुरु होनार आत्मावरुर्य स्पमया नामको ईशा शियाफाईड लघु। लोमेश विशण गूढई। मभियेदा इयंसेने दिळूण रायमार्थम पापं कुरुतेऽस्तो पञ्चसंतोषीयेचन्या स्थान संतोषयुक्तानि मोहना ३२ स्याकदा चिर एक को लबी विवश्यान तोजनं न करन स्वयं कदा चिनूश्कक सोलानिन विनिनूरुतिरूमे मे ममदेदशस्वमेाधादिमनीया चालब जो इति बजमापाव छत्तीस प्रदोश निवाणेचना२३ शियामाईन लहु विवदेपात्तायण वरील आसाववमेव श्रमणा संधिव आयतार्थी मोहाचीय श्रमु नियती संतोष सोमवार सेव सदरच्चाविवन्लेरिसमा हार जाएं ताईमे समा प्राय यही सरांमुगी सेवते। लूह व्येमोव का दिमतगादा के दिल ताय६ मात तुम्थमारी तो स्वामी मोमी मानसं मन कलुष चंदना देि माने क्या दे सप्त मानेनोलक बप्रायेामाय राज्येन कर्मकचन विमाना पाठोके ब वित्तीसमोसिनाजसो कामी (भाग मेमा एका मगरपवसइकाम माया सल्लेच कुंकुछ श् विष्टादिविष्य नामे अन्यहामिदूर मेरा ज्ञानिनः साविषयम्त यशः संयमनमाना २६ चिनियका की सेनन को ि खरवा मेरुदाविशन्नधामशगरमा सरका मणिबेतिरेक जसंसारिकमाल। द्दापिया गातान मोजा तिनम्पयम्पतदोबानू रनमायोजनमा शुभकायत्यामत्र मयामृषांच निस्को साझे यश निर्वाि मिको इघिया शेतसाराददो साहिनियहुँच सुदामा | चटई सुवियात स्मामायामीसंच ति सनिनं परत्र साधनात तोनियो हिमो यघातेन स्वार आत्मकर्मतिर्मति ताट शोमरो तोचि नरा कुरणे ग्रंथ सोयनविद्याएं |सययेचा साजण निष्ठुचियोदअहाते प्रकादिक मतारि
SR No.650008
Book TitleDasvaikalika Sutra
Original Sutra AuthorSwayambhava
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1622
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size36 MB
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